बांध पर मंडरा रहा खतरा, अफसर बेफिक्र
मदनपुर-केवटलिया बांध से करीब 50 हजार की आबादी सुरक्षित है। जिसमें जनपद की बड़ी आबादी वाला गांव मदनपुर भी शामिल है। क्षेत्र के गुड्डू राव मनोज सिंह शैलेश यादव प्रदीप पाण्डेय इफ्तेखार अहमद गोकुलेश सुभावती देवी इंद्रावती आदि का कहना है कि इस बांध बचाने के नाम केवल दिखावा किया जा रहा।
देवरिया: अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई.. खेत की कहावत बाढ़ खंड पर सटीक बैठ रही है। सुरक्षा के कागजी कोरम के सहारे सो रहा विभाग तब जागा जब ग्राम केवटलिया के समीप करीब बीस मीटर लम्बा ठोकर नदी में समा गया।
दोपहर बाद अचानक नदी की धार में बहे ठोकर ने दहशत का माहौल बना दिया। उपजिलाधिकारी की सूचना पर मौके पर पहुंचा विभाग भी हालात देख सकते में आ गया। आनन-फानन में बंधे के किनारे के पेड़ों की टहनी व झाड़ी डाल डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू किया गया। हालांकि विभागीय रवैये से ग्रामीण खास नाराज थे। सनद रहे 1998 में मदनपुर-केवटलिया बांध पूरी तरह कट गया था। जिसके बाद राप्ती के जल तांडव से दर्जनों गांव मैरुंड हो गए थे।
1998 में बांध कट जाने के बाद 1.57 किमी लम्बे नए बांध का निर्माण किया गया था। जिस पर केवटलिया गांव के समीप व गोला कस्बा के पास दुबारा कटान शुरू हो गई। जिसके लिए बंधे के किमी जीरो पर 5 सौ मीटर पक्की पिचिग व किमी 1.4 पर करीब 2 सौ मीटर लांचिग एप्रन के साथ पक्की पिचिग, 3 स्पर, 2 कटर व 3 सैंक का निर्माण किया गया।
ठोकर की जर्जर हालत देख वर्ष 2018 में 408 लाख की परियोजना भेजी गई, लेकिन तकनीकी खामी की वजह से पास नही हो पाई। 2019 में दुबारा उसे भेजा गया। जिसे पास होने पर धन निर्गत होने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन स्टेयरिग तक पहुंच कर परियोजना को अगले वर्ष संसोधित स्टीमेट के साथ भेजने की बात कह कर शासन से लौटा दिया गया।
मदनपुर-केवटलिया बांध से करीब 50 हजार की आबादी सुरक्षित है। जिसमें जनपद की बड़ी आबादी वाला गांव मदनपुर भी शामिल है। क्षेत्र के गुड्डू राव, मनोज सिंह, शैलेश यादव, प्रदीप पाण्डेय, इफ्तेखार अहमद, गोकुलेश, सुभावती देवी, इंद्रावती आदि का कहना है कि इस बांध बचाने के नाम केवल दिखावा किया जा रहा। यदि समय रहते उसकी सुरक्षा सुनिश्चित नही की गई तो भीषण तबाही से इनकार नही किया जा सकता।
सहायक अभियंता, सिचाई विभाग अशोक द्विवेदी ने कहा कि यदि नदी का जल स्तर अधिक होता तो हालात पर काबू पाना मुश्किल काम था। ऐसे में बड़ी तबाही से इनकार नही किया जा सकता था। पानी कम होने की वजह से जल्द ही स्थिति और काबू पा लिया जाएगा। कटान रोकने की मुकम्मल व्यवस्था से ही बांध व गांव को बचाया जा सकता है।