शिक्षकों ने विधेयक की प्रतियां जलाकर किया प्रदर्शन
उप्र शिक्षक महासंघ के आह्वान पर जिले के प्राथमिक माध्यमिक राजकीय संस्कृत मदरसा अनुसूचित व महाविद्यालय के शिक्षक सुबह बीएसए कार्यालय परिसर में एकत्र हुए। शिक्षक प्रदर्शन करते हुए सुभाष चौक पर पहुंचे और जमकर नारेबाजी की।
देवरिया: उप्र शिक्षक महासंघ ने उप्र शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक 2021 का विरोध तेज कर दिया है। सोमवार को शिक्षकों ने सुभाष चौक पर विधेयक की प्रतियां जलाकर विरोध जताया और नारेबाजी की।
उप्र शिक्षक महासंघ के आह्वान पर जिले के प्राथमिक, माध्यमिक, राजकीय, संस्कृत, मदरसा, अनुसूचित व महाविद्यालय के शिक्षक सुबह बीएसए कार्यालय परिसर में एकत्र हुए। शिक्षक प्रदर्शन करते हुए सुभाष चौक पर पहुंचे और जमकर नारेबाजी की। जिलाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि सरकार इस विधेयक को लाकर शिक्षकों के प्रति संवेदनहीनता का परिचय दे रही है। जिस समाज में शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित नहीं होगा, वहां शिक्षा का भविष्य सोचनीय होगा। निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। गरीब, कमजोर वर्ग शिक्षा से वंचित होगा। जिला संयोजक अवधेश सिंह ने कहा कि यह विधेयक शिक्षकों व कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा को चोट पहुंचाने वाला है। इसके लागू होते ही कोई शिक्षक या शिक्षणेत्तर कर्मचारी अपने सेवा से संबंधित विवाद, उत्पीड़न या अधिकारियों के एकतरफा दंडात्मक कार्रवाई करने पर उच्च न्यायालय नहीं जा सकेगा। अधिकरण के निर्णय से आहत या पीड़ित व्यक्ति के लिए न्याय पाने का एकमात्र उपाय सुप्रीम कोर्ट जाना होगा। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि यदि समय रहते इस काले कानून को वापस नहीं लिया गया तो शिक्षक महासंघ आरपार के लिए संघर्ष करने को मजबूर होगा। इस मौके पर बीआरडीपीजी कालेज के डा.विनय रावत, आनंद प्रकाश यादव, ऋषिकेश जायसवाल, डा. सत्यप्रकाश सिंह, शफीक अहमद, बैजनाथ पति त्रिपाठी, जयप्रकाश मणि, संजय मिश्र, नित्यानंद यादव, निर्भय राय, ओमप्रकाश शुक्ला, विनोद मिश्र, रामनिवास यादव, सुशील यादव, सुशील सिंह, गोविद मिश्र, रमेश यादव आदि मौजूद रहे। शिक्षकों ने विधेयक को बताया काला कानून
देवरिया: शिक्षक कर्मचारी संघर्ष समिति की बैठक भीखमपुर रोड स्थित कार्यालय पर सोमवार को हुई। संयोजक उमाशंकर लाल श्रीवास्तव ने कहा कि उप्र शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए काला कानून है। विधानमंडल में पारित यह विधेयक आत्मघाती साबित होगा। न्याय से वंचित करने की साजिश रची गई है। अध्यक्ष डा.महेंद्र राय ने कहा कि समिति इस विधेयक का विरोध कर रही है। इस मौके पर अजीत त्रिपाठी, प्रेमचंद्र मिश्र, कृष्णमोहन सिंह, डा. नितेष गौड़, वीडी पांडेय, अखिलेश नंदन, विपिन कुमार आदि मौजूद रहे।