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टैंकर बने काल, तीन साल में मां ने खोए दो लाल

तीन साल में एक मां-बाप ने दो पुत्रों को हादसों में गंवा दिया। अजीब इत्तेफाक है कि दोनों की मौत का कारण मनहूस टैंकर बने हैं। असमय मौत से परिवार पर वज्रपात पड़ गया है। मंगलवार को सर्वजीत की मौत ने सबको झकझोर दिया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 11:31 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 11:31 PM (IST)
टैंकर बने काल, तीन साल में मां ने खोए दो लाल
टैंकर बने काल, तीन साल में मां ने खोए दो लाल

देवरिया : इसे नियति का खेल कहें या बदकिस्मती। तीन साल में एक मां-बाप ने दो पुत्रों को हादसों में गंवा दिया। अजीब इत्तेफाक है कि दोनों की मौत का कारण मनहूस टैंकर बने हैं। असमय मौत से परिवार पर वज्रपात पड़ गया है। मंगलवार को सर्वजीत की मौत ने सबको झकझोर दिया। सर्वजीत के बड़े भाई सत्यदीप की तीन साल पहले टैंकर के चैंबर में गिरने से हुई मौत की घटना लोगों के जेहन में ताजा हो गई।

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मृतक की मां छठी देवी का रो-रोकर बुरा हाल था। वह तीन वर्ष पूर्व एक पुत्र को खोने के गम को अभी भुला नहीं पाई थी कि मंगलवार को ईश्वर ने सात पुत्रों में सबसे छोटे पुत्र को भी छिन लिया। तेल डिपो का निर्माण गुडरी गांव में ही हुआ है। जहां पर दिन-रात सैकड़ों की संख्या में टैंकर खड़े रहते हैं। उसे क्या पता था कि यह टैंकर उसके दो पुत्रों को सदा के लिए छिन लेगा। तीन साल पहले सात पुत्रों में दूसरे नंबर का सत्यदीप उस समय हादसे का शिकार हो गया जब वह टैंकर पर चढ़कर कुछ देख रहा था। तभी टैंकर के खुले चैंबर में गिरने से उसकी मौत हो गई। वह 23 वर्ष का था। उस गम को अभी मां-बाप भुला भी नहीं पाए थे कि काल के क्रूर हाथों ने छोटे बेटे सर्वजीत को छिन लिया। मां को इसका भान न था कि जिस पुत्र को वह नाश्ता तैयार कर स्कूल भेज रही है। यह साथ उसका आखिरी साबित होगा। मां छठी देवी दहाड़ मारकर रो रही थी। उसके मुंह से यही निकल रहे थे कि यदि उसे यह पता होता कि उसके पुत्र के साथ ऐसा हो जाएगा तो वह विद्यालय नहीं भेजती। गनीमत यह है कि उसका तीसरा पुत्र मंजीत हादसे में आने से बच गया।

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टैंकरों के दो फेरे से बढ़ रहीं दुर्घटनाएं

बैतालपुर: बैतालपुर में इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम व ¨हदुस्तान पेट्रोलियम डिपो स्थित है। पेट्रोलियम पदार्थों की लो¨डग के इंतजार में सैकड़ों टैंकर हर दिन आते-जाते हैं। इनमें दो फेरे के लिए होड़ लगी रहती है। यही वजह है कि आए दिन हादसे हो रहे हैं। इसको लेकर अफसर लापरवाह बने हुए हैं।

तीनों डिपो से पूर्वांचल के जिलों आजमगढ़, बलिया, मऊ, संतकबीर नगर, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर व पड़ोसी देश नेपाल को मिट्टी तेल, डीजल व पेट्रोल की आपूर्ति होती है। इन जिलों की दूरी तेल डिपो से 50 से 100 किमी के बीच या उससे कुछ अधिक है। टैंकर चालक दूर के जनपदों से जल्द तेल भरकर दूसरे लोड के लिए सुबह तेज गति से यातायात नियमों को ताक पर रखकर सड़कों पर फर्राटा भरते हैं, जिसके चपेट में हर दिन किसी का सुहाग, किसी मां के आंचल सूने हो रहे हैं। टैंकर चालक इतनी जल्दबाजी में रहते हैं कि वह अपने लोड के चक्कर में लापरवाही दिखाने में गुरेज नहीं करते। लोगों का कहना है कि चालक दो लोड हासिल करने के लिए जी-जान लगा देते हैं, ताकि दो फेरे में उन्हें ट्रांसपोर्टरों और पेट्रोल पंप डीलरों से अच्छा इनाम मिल सके। साथ ही एक ही दिन में दो भाड़ा मिलता है। यदि दूसरे लोड पर पाबंदी लगा दी जाए तो टैंकर से होने वाली दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।

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