दियारा का कुटीर उद्योग बनी कच्ची शराब
सरयू नदी के दियारा की भौगोलिक स्थितियां अवैध शराब कारोबारियों के लिए सुरक्षित ठौर है। यहां कि सुलगती भठ्ठियों से निकलते धुंए किसी औद्योगिक क्षेत्र का एहसास करते हैं। कभी-कभी प्रशासन भठ्ठियों को नष्ट करता है अगले दिन फिर धधक जाती है
देवरिया : सरयू नदी के दियारा की भौगोलिक स्थितियां अवैध शराब कारोबारियों के लिए सुरक्षित ठौर है। यहां कि सुलगती भठ्ठियों से निकलते धुंए किसी औद्योगिक क्षेत्र का एहसास करते हैं। कभी-कभी प्रशासन भठ्ठियों को नष्ट करता है अगले दिन फिर धधक जाती है।
परसिया देवार, विशुनपुर देवार, कुरह परसिया देवार में कच्ची शराब के निर्माण व बिक्री का खेल वर्षों से जारी है। दो दिन पूर्व प्रशासन ने कार्रवाई के नाम पर दियारा में धमक तो दिखाई लेकिन, विशुनपुर व परसिया कूर्ह देवार के तरफ रुख करने की जहमत नहीं उठाई। राजपुर देवार में बंधे से उत्तर, सलाबी के टोले पर भी शराब की भठ्ठियां धधक रही है। कटलहिया टोला और कुरह परसिया देवार में दस से अधिक भठ्ठियां सुलग रही है। रात के अंधेरे में शराब की बड़ी खेप नदी के इस पार आती है।
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यहां बिकती है कच्ची शराब
कपरवार के बिनोवापुरी, परसिया चौबे में दो जगहों पर, कटइलवा में छह स्थानों पर, बढ़या हरदो, करोहिया, करायल उपाध्याय, बरछौली, पैना, नावापार, मेहियवां, पलिया, बारादीक्षित, तिवारीपुर, गौरा, पटेल नगर में सरेआम कच्ची शराब की बिक्री होती है। इसके विरोध में लोग धरना प्रदर्शन तक कर चुके हैं, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकल सका।
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छापेमारी में पुलिस के हाथ नहीं लगते कारोबारी
प्रदेश में शराब से मौतों के बाद पुलिस, पीएसी की टीम अड्डों पर छापेमारी करती है। लहन, भट्टियों को नष्ट किया जाता है, ¨कतु कारोबार से जुड़े लोग हाथ नहीं लगते। वजह है पुलिस के बीच कारोबारियों की गहरी पैठ। छापेमारी से पूर्व ही कारोबारियों को भनक लग जाती है और मौके से फरार हो जाते हैं। टीम के लौटते ही कच्ची शराब की भट्टियां दोबारा धधकनी शुरू हो जाती है।
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