तालाब में वर्षा जल, बुझ रही पशु-पक्षियों की प्यास
गौरीबाजार विकास खंड के ग्राम रामलक्षन में गर्मी के दिनों में पानी कम होने से समस्या होने पर तत्कालीन ग्राम प्रधान कुसुम देवी ने तीन वर्ष पहले मनरेगा से वर्षा जल संचयन के लिए तालाब को गहरा कराकर मेड़बंदी कराईं गई।
देवरिया: शहर में तालाब सूख रहे हैं। लेकिन गांव में लोग पानी की कीमत समझने लगे हैं। जिसका नतीजा यह है कि बारिश के पानी से तालाब लबालब भरा हुआ है।
गौरीबाजार विकास खंड के ग्राम रामलक्षन में गर्मी के दिनों में पानी कम होने से समस्या होने पर तत्कालीन ग्राम प्रधान कुसुम देवी ने तीन वर्ष पहले मनरेगा से वर्षा जल संचयन के लिए तालाब को गहरा कराकर मेड़बंदी कराईं गई। जिसका नतीजा यह है कि पशु पक्षियों की प्यास बुझ रही है, वहीं लोगों के घरों में लगे हैंडपंप भी पानी से भरे हुए हैं। करीब दस साल पहले तक गर्मी के दिन में तालाब के आसपास के बसे लोगों के हैंडपंप सूख जाते थे। हाल यह है कि तीन से जहां वर्षा जल का संचयन तालाब में हुआ वहीं धरती की कोख सूनी होने से बचाया जा सका। अब इस गांव में पानी का संकट नहीं है। यह सब केवल वर्षा जल संचयन से हो सका है। करीब दो एकड़ क्षेत्र में फैला पोखरा इलाके में जल संचयन की मिसाल पेश कर रहा है।
तकनीकी विशेषज्ञ ई.आदित्य त्रिपाठी ने बताया कि रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम को लगाने से जहां भूजल स्तर को संतुलित किया जा सकता है। लोगों को बारिश के पानी को बर्बाद होने से रोकने के लिए अपने घर की छतों पर बारिश के पानी को पाइप लाइन से जोड़कर जमीन पर पिट बनाकर वर्षा जल का संचयन किया जा सकता है। इसके लिए सभी को पहल करनी होगी।
प्रधानाचार्य कैप्टन जितेंद्र सिंह ने बताया कि बारिश के पानी का संचयन के लिए लोगों को पहल करनी होगी। जिससे भूगर्भ जल स्तर को भी ठीक रखा जा सके। सभी लोगों को इसके लिए अपने घर के पानी को शोक पिट के जरिए संरक्षित करना होगा।