संवेदनशील जेल में बंदी रक्षक सीमित, वाच टावर भी नहीं
जिला कारागार में सुरक्षा के लिहाज से मोबाइल जैमर भी लगाया गया है लेकिन जैमर की नेटवर्क रोकने की क्षमता मात्र टूजी है जबकि जिले में फोर जी मोबाइल नेटवर्क चल रहे हैं।
देवरिया: जिला कारागार में बड़े बदमाश बंद है, लेकिन हाईप्रोफाइल इस जिला कारागार की सुरक्षा भगवान भरोसे है। न तो पर्याप्त बंदी रक्षक हैं और न ही बंदियों व परिसर की निगरानी के लिए वॉच टावर ही लगा है। सुरक्षा को लेकर जेल प्रशासन हमेशा भयभीत रहता है। जब भी कोई दिक्कत आती है तो तत्काल जिला पुलिस से फोर्स मंगानी पड़ती है।
जिला कारागार में देवरिया के साथ ही कुशीनगर जनपद के भी बंदी बंद होते हैं। इस जेल की क्षमता तो 533 बंदियों के रखने की है, लेकिन इस समय इस जेल में क्षमता से तीन गुना साढ़े पंद्रह सौ बंदी बंद है। जिसमें शातिर बदमाश तार बाबू, झूला सिंह, विकास यादव समेत कई बड़े अपराधी भी बंद है। सुरक्षा में यहां एक जेलर, चार डिप्टी जेलर व 46 बंदी रक्षक की तैनाती है। जबकि बंदियों की संख्या को देखते हुए कम से कम डेढ़ सौ बंदी रक्षक की तैनाती होनी चाहिए।
जिला कारागार में सुरक्षा के लिहाज से चार वॉच टावर के लिए तीन बार जिला कारागार प्रशासन द्वारा शासन को अपनी रिपोर्ट भी भेजी। लेकिन अभी तक वॉच टावर लगाने के लिए अनुमति नहीं मिल सकी है।
जिला कारागार में सुरक्षा के लिहाज से मोबाइल जैमर भी लगाया गया है, लेकिन जैमर की नेटवर्क रोकने की क्षमता मात्र टूजी है, जबकि जिले में फोर जी मोबाइल नेटवर्क चल रहे हैं। ऐसे में अपराधी भी जेल के अंदर से मोबाइल के जरिये बात कर लेते हैं और जैमर फोर जी नेटवर्क के आगे शो-पीस बनकर रह गया है। कई बार जैमर की क्षमता बढ़ाने के लिए रिपोर्ट भी जिला कारागार प्रशासन से भेजी गई, लेकिन इसकी भी अनुमति नहीं मिल सकी है।
केपी त्रिपाठी, जेल अधीक्षक ने बताया कि वॉच टावर के लिए रिपोर्ट शासन को भेजी गई है, साथ ही बंदी रक्षक के लिए भी उच्चाधिकारियों को लिखा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही कुछ और बंदी तैनात हो जाएंगे।