अच्छे संस्कारों से ही होगा समाज व देश का भला
देवरिया: बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं, उन्हें जिस आकार में हम ढालना चाहें, ढाल सकते हैं। हम क
देवरिया: बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं, उन्हें जिस आकार में हम ढालना चाहें, ढाल सकते हैं। हम केवल मशीन न बनें, बच्चों में संस्कार डालें। जिससे बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो और उनके व्यक्तित्व का विकास हो सके। अच्छे संस्कारों से ही देश व समाज का भला होगा। यह बातें पीएन एकेडमी में दैनिक जागरण की तरफ से आयोजित संस्कारशाला में प्रधानाचार्य सुधीर सिंह ने कही।
कहा कि अच्छे संस्कारों के बिना सर्वागीण विकास की कल्पना संभव ही नहीं है। आज के आपाधापी भरी जिदगी में लोग संस्कार भूलते जा रहे हैं। यह चिता का विषय है। इसलिए हम सभी का दायित्व है कि इसके प्रति सचेत रहें। दैनिक जागरण का संस्कारशाला के जरिये संस्कार पैदा करने की पहल बहुत सराहनीय है। बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों की भावनाओं को समझें और बच्चे अभिभावकों की आकांक्षाएं समझें। कहा कि आज के बच्चे माता-पिता को अपने ढंग से परवरिश करने के लिए मजबूर करते हैं। बच्चों की जिद पूरी करने के चक्कर में अभिभावक बहुत सी नैतिक जिम्मेदारियों को दरकिनार कर रहे हैं। संयुक्त परिवार का प्रचलन कुछ हद तक जिम्मेदार है। संयुक्त परिवार में बच्चा अपने बड़े बुजुर्गों के पास बैठकर व कहानियों के माध्यम से नैतिक मूल्यों को सीखता था। किताबी ज्ञान के साथ नैतिक संस्कार भी मिलते थे, लेकिन आज जिदगी इतनी तेजी से दौड़ रही है कि इंसान केवल मशीन बनकर रह गया। किसी के पास इतना वक्त नहीं कि बच्चों के साथ कुछ पल बिताएं और उनकी भावनाओं को समझें।
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जीव-जंतुओं पर अत्याचार न करना भी संस्कार
प्रधानाचार्य सुधीर सिंह ने कहा कि हम लोगों की जिदगी में विद्यार्थी जीवन सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान हम जो संस्कार हासिल करते हैं, वे पूरी जिदगी हमारा साथ देते हैं। सिर्फ माता-पिता या गुरुजनों के पैर छूकर आशीर्वाद लेना ही संस्कार नहीं है। बल्कि जीव-जंतुओं पर अत्याचार न करना, पानी को बर्बाद न करना, पर्यावरण का संरक्षण करना, सोशल मीडिया का सदुपयोग करना जैसे संस्कार भी जरूरी हैं। विद्यार्थी जीवन से ही इन संस्कारों को अपना लेंगे तो जीवन सफल हो जाएगा।