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देवरिया में बिना फिटनेस सड़क पर दौड़ रहे वाहन,जिम्मेदार बेफिक्र

देवरिया में जर्जर निजी व सरकारी वाहन सड़क पर भर रहे फर्राटा एआरटीओ विभाग की लापरवाही के चलते अनफिट वाहनों पर नहीं लग रही लगाम।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 11:54 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 11:54 PM (IST)
देवरिया में बिना फिटनेस सड़क पर दौड़ रहे वाहन,जिम्मेदार बेफिक्र
देवरिया में बिना फिटनेस सड़क पर दौड़ रहे वाहन,जिम्मेदार बेफिक्र

देवरिया: सड़क हादसे में अनफिट वाहन भी वजह बन रहे हैं। लोगों की मनमानी तथा यातायात विभाग की सुस्ती के चलते सड़क पर अनफिट वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। जिसका नतीजा यह है कि हर साल सैकड़ों लोगों की जान जाती है और सैकड़ों लोग दिव्यांग हो जाते हैं। हर साल यातायात विभाग लोगों को यातायात के प्रति जागरूक भी करता है, लेकिन डग्गामार वाहन व बिना फिटनेस के सड़क पर दौड़ रहे वाहनों पर जिम्मेदारों की नजर नहीं जा रही है। वाहनों के फिटनेस जांचने का कोई उपकरण नहीं है। आरआइ के देख लेने पर मिल जाता है फिटनेस प्रमाण पत्र

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नई चार पहिया गाड़ी लेने पर हर दो साल पर फिटेनस आठ साल तक कराने का नियम है, जबकि उसके बाद हर साल जांच कराने का नियम है। बाइक व आठ सीट से कम वाले वाहनों का लाइफ टाइम फिटनेस माना जाता है। वाहनों की फिटनेस जांच करने के लिए हर जिले में मशीन होनी चाहिए, ताकि वाहन खड़ा कर जांच कर ली जाए। देवरिया में इसके लिए कोई इंतजाम नहीं है। यहां यातायात विभाग के आरआइ की तैनाती है, लेकिन मशीन न होने के चलते वह खुद गाड़ी को चलाकर जांच कर लेते हैं और फिर वाहनों को फिट होने का प्रमाण पत्र दे दिया जाता है।

इनका तो जांच ही नहीं होता डीएल व कागज

जिले में ई-रिक्शा व जुगाड़ वाहन बड़े पैमाने पर चलते हैं। अधिकांश ई-रिक्शा पर नंबर ही नहीं है और न ही उनका पंजीकरण है। जबकि जुगाड़ वाहन की तो एआरटीओ कार्यालय में कोई जानकारी ही नहीं है। इसके अलावा जिले में लगभग 10 हजार ट्रैक्टर हैं, इन ट्रैक्टरों में से अधिकांश का एक साल बाद बीमा ही नहीं किया गया है। इसके अलावा कभी भी ट्रैक्टर चालक, ई-रिक्शा चालक व जुगाड़ वाहन चालकों के डीएल व कागजात नहीं जांच किए जाते हैं। इनकी जांच तब शुरू होती है जब कोई हादसा हो जाता है। इसके लिए कोई भी हाल के दिनों में अभियान भी नहीं चलाया गया है। कोहरे में नहीं दिख रही वाहनों पर फाग लाइट

ठंड के साथ कोहरा भी शुरू हो गया है, लेकिन सरकारी से लेकर निजी वाहनों में अभी तक फाग लाइट व कलर रिफ्लेक्टर नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि रोडवेज की बसें देवरिया से दिल्ली तक जा रही है। पार्किंग लाइट भी अधिकांश वाहनों से गायब ही नजर आ रही है। व्यवसायिक वाहनों के फिटनेस की समय-समय पर जांच की जाती है। यह जरूर है कि जांच के लिए जिले में ट्रैक नहीं है, यहां आरआइ द्वारा मैनुअली जांच की जाती है।

राजीव चतुर्वेदी, एआरटीओ कोहरे में इस पर दें ध्यान :

-गाड़ी की रफ्तार ज्यादा न रखें

-गाड़ी में फाग लाइट व इंडिकेटर का प्रयोग करें

-रात में चलने से परहेज करें

-गाड़ी के पीछे रिफ्लेक्टर जरुर लगवा लें

-चौक-चौराहे पर हार्न का प्रयोग अवश्य करें। यह भी जानें :

-जिले में कुल वाहन पांच लाख

-ट्रैक्टर-----10000

-चार पहिया वाहन -----20000

-ई-रिक्शा----2500 जांच की होनी चाहिए अच्छी व्यवस्था :

ट्रक जालक संघ के अध्यक्ष जेपी पांडेय ने कहा कि वाहनों के फिटनेस जांच की यहां कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है। वाहन ज्यादा हैं और कर्मचारियों की संख्या कम है। यहां कर्मचारियों की संख्या ज्यादा होनी चाहिए और जांच के लिए ट्रैक की व्यवस्था भी होनी चाहिए।


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