देवरिया में मजदूर थे, हौसले ने मालिक बना दिया
देवरिया में बरहज के विक्रांत सिंह ने नौकरी छूटने के बाद कर्ज लेकर लगाई कुल्हड़ फैक्ट्री बैंक ने मुद्रा लोन देने से मना किया तो 50 हजार रुपये का पर्सनल लोन लिया अब मांग इतनी कि पूरी करना मुश्किल।
देवरिया :काम छोटा-बड़ा नहीं होता। समर्पण से करें तो आड़े वक्त सहारा बनता है। हौसला जोड़ दें तो कई और लोगों का सहारा भी बन जाता है। बुलंदशहर के खुर्जा की एक पाटरी कंपनी में मशीन से मिट्टंी के बर्तन बनाने वाले 35 वर्षीय विक्रांत सिंह इसी की बानगी हैं। नौ महीने पहले 20 हजार रुपये कमाने वाले विक्रांत समर्पण के साथ काम और हौसले के बूते आज 12 श्रमिकों को 10 से 24 हजार रुपये वेतन दे रहे हैं।
बरहज तहसील के बढ़या हरदो गांव के भोला सिंह व विद्यावती देवी के पुत्र विक्रांत पाटरी कंपनी में 10 घंटे के काम के बीस हजार रुपये पाते थे। लाकडाउन में नौकरी छूटी तो अप्रैल में घर आ गए। दो महीने खाली बैठे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोकल फार लोकल की अपील की तो हिम्मत मिली। अपना काम करने का फैसला लिया। मिट्टंी के बर्तन बनाने वाली मशीन खरीदने के लिए मुद्रा लोन मांगा। बैंक ने मना कर दिया तो गारंटर खोजकर 50 हजार रुपये का व्यक्तिगत ऋण ले लिया। मशीन लाए। चार श्रमिक लेकर कुल्हड़ बनाना शुरू किया। पहले तो खरीदार नहीं मिले, लेकिन कुछ दिन बाद एक दुकानदार ने आर्डर दिया। इसके बाद रास्ता खुला तो मांग बढ़ती गई और आज वह दसवां हिस्सा ही पूरा कर पा रहे हैं। जितना बनता है, सप्लाई हो जाता है। रोज तीन हजार कुल्हड़
विक्रांत ने बाजार की जरूरत समझकर आधुनिक डिजाइन के कुल्हड़ बनाए। वह फूल-पत्ती की चित्रकारी, लाइनिंग वाले दूध, मिष्ठी दही, रसगुल्ला और रसमलाई के लिए अलग-अलग कुल्हड़ बनाते हैं। मशीन से रोज तीन हजार पीस तैयार होते हैं। डिजाइन के अनुसार इनकी कीमत 1.25 से तीन रुपये तक है। अब कैटरर्स भी उन्हें सीधे आर्डर दे रहे हैं। देवरिया के अलावा गोरखपुर, आजमगढ़, बलिया, बनारस, आंबेडकरनगर, कुशीनगर, मऊ, गाजीपुर और बिहार से भी आर्डर मिल रहे हैं। इन्हें मिला रोजगार
गाव के राहुल, सुरेश पाडेय, रामजीत, महेंद्र प्रसाद के साथ ज्वाला, लाला, सोनू, आकाश कुमार, विकास यादव, यशवंत गिरी ऐसे बनाते हैं कुल्हड़
मशीन से मिट्टंी का पाउडर बना पानी मिलाकर पेस्ट बनाते हैं। सांचे वाली मशीन में पेस्ट डालकर कुल्हड़ तैयार किया जाता है। बीस हजार कुल्हड़ बन जाने पर उसे कोयला व लकड़ी की भट्ठी में 800-900 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पकाते हैं। कुल्हड़ तैयार होने में दस दिन लग जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोकल फार लोकल का नारा दिया, तभी अपने काम की ठान ली थी। कोशिश है कि लोगों को घर में रोजगार दूं। हां, अभी बैंक को अधिक ब्याज देना पड़ रहा है। सरकार सहयोग करे तो काम बढ़ाकर कई लोगों को रोजगार दे सकता हूं। अभी काम को और बढ़ाना है।
विक्रात सिंह