पाजिटिव हुआ तो पत्नी, मां, पिता व भाई बने संबल
जागरण संवाददाता देवरिया संकट के समय में मन का मजबूत होना आवश्यक है। मजबूरी तब और हो
जागरण संवाददाता, देवरिया: संकट के समय में मन का मजबूत होना आवश्यक है। मजबूरी तब और हो जाती है जब परिवार के लोग आपके साथ खड़े रहें। अगर ऐसा है तो कोई भी परेशानी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। जी हां कुछ ऐसा ही हुआ जिला अस्पताल में तैनात फिजिशियन डा. विजय कुमार गुप्ता के साथ।
वह 21 अप्रैल को कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए पाजिटिव हो गए। एक बार उन्हें भी लगा कि अब क्या होगा। घर पहुंचे तो उनका पूरा परिवार संबल बन कर खड़ा हो गया। उनकी कोरोना जांच रिपोर्ट 10 मई को निगेटिव आई, तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा।
कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट आने के बाद वह शहर के चकियवां रोड स्थित अपने आवास पर वह पहुंचे तो उनकी पत्नी अपने दो छोटे बच्चों के साथ उनके आने की राह देख रही थी। एक कमरे में सारा इंतजाम अलग कर दिया था। बच्चों से दूरी बनाने के साथ दो छोटे बच्चों की देखभाल व पति की देखभाल की। सुबह काढ़ा, हल्दी दूध, दवाएं व पौष्टिक आहार देने के साथ ही, हमेशा अपने पति का हौसला बढ़ाती रही। जब भी डा. विजय कुछ सोचते या चितन करते वह कमरे के बाहर दूर बैठ कर उनका मनोरंजन करती। कहती इतने मोटे तगड़े व्यक्ति को कोरोना कैसे हो गया। घबराइए नहीं जल्दी भाग जाएगा।
उधर मां उषा देवी मूल निवास संतकबीर नगर से सुबह शाम वीडियो काल कर अपने बेटे का हाल जानती और आने की जिद करती। काफी मना करने पर वह मानी, हमेशा हौसला बढ़ाती और कहती घबराना नहीं जल्दी ठीक हो जाओगे। पिता राम समय गुप्ता व भाई मुकेश गुप्ता, सुजीत गुप्ता देवरिया पहुंच व फोन से हर रोज खाने पीने के इंतजाम से लेकर एक एक गतिविधि की जानकारी लेते रहे। बकौल डा. विजय परिवार के लोगों ने ऐसा हौसला बढ़ाया कि मेरे होम क्वारंटाइन के दिन कब बीते और मेरी कोरोना जांच रिपोर्ट कब निगेटिव हुई मुझे खुद पता नहीं चला। कोरोना पाजिटिव होने के दौरान पत्नी, माता, पिता व भाइयों की अहमियत मेरे अंदर और बढ़ गई है।