बागवानी से पर्यावरण के साथ ही आर्थिक लाभ
देवरिया में बागवानी करने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
देवरिया: प्रकृति और मनुष्य दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। हम प्रकृति से सीखते हैं। इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि इसकी रक्षा करें। बागवानी से हम न केवल प्रकृति की रक्षा करते हैं बल्कि आर्थिक लाभ भी प्राप्त करते हैं। जिले के किसान बागवानी से अच्छा लाभ कमा रहे हैं। 40 हजार रुपये का बिकता है कटहल
मैंने तीन एकड़ में बागवानी की है, जिसमें कटहल, आम, अमरूद व बेल के पेड़ प्रमुख हैं। 2012 में थाईलैंड से कटहल के 50 पौधे मंगाए जो अब पेड़ हो गए हैं। दो वर्ष से फल दे रहे हैं। एक वर्ष में 40 हजार रुपये का कटहल बेच चुका हूं। आम के भी 50 पेड़ हैं, जो दो वर्ष से फल दे रहे हैं। इस वर्ष दस हजार रुपये का आम बेचा है। इसके अलावा अमरूद व बेल भी फल दे रहे हैं। अभी शुरुआती दौर है। इनसे एक से दो साल में उत्पादन बढ़ेगा तो आमदनी भी होगी। मैंने करीब 1500 सागौन के भी पौधे लगाए थे, जो अब बड़े हो गए हैं।
-आलोक धर द्विवेदी, देवघाट, पथरदेवा 20 हजार रुपये का बिका आम
मुझे पेड़-पौधों से प्यार है। मैंने करीब डेढ़ दशक पूर्व एक एकड़ में बागवानी की है। जिसमें आम के 50 पेड़ आम्रपाली व दशहरी आदि प्रजाति के हैं। इस वर्ष 20 हजार रुपये का फल बेचा है। आंवला, लीची के भी 70 पेड़ हैं, जो फल दे रहे हैं। यदि ठीक से बागवानी की जाए तो फायदा ही फायदा है। बागवानी से पर्यावरण संरक्षण के साथ ही आर्थिक लाभ भी है। हमारे पुरखों को प्रकृति से प्यार था। जिसका उपभोग हमने किया। अब हमें पौधारोपण को महत्व देना चाहिए।
-राघवेंद्र प्रताप शाही, देवडार, देवरिया