अस्पतालों की इमरजेंसी सेवा धराशायी
कागज में ड्यूटी कर रहे कई पीएचसी व सीएचसी के चिकित्सक
देवरिया: जनपद के ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों का बुरा हाल है। आलम यह है कि दो बजे तक तो अस्पताल किसी तरह खुले रहते हैं, लेकिन जैसे ही घड़ी दो बजाती है अस्पताल के मेन गेट पर ताला लटक जाता है। कोई भी घटना या दुर्घटना होने पर लोगों को मजबूरी में प्राइवेट अस्पताल नहीं तो जिला चिकित्सालय की इमरजेंसी की तरफ रूख करना पड़ता है। मरीजों के साथ इलाज के नाम पर मजाक किया जा रहा है।
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जनपद में अस्पतालों की स्थित
अस्पताल संख्या
सीएचसी 16
पीएचसी 15
न्यू पीएचसी 65 डाक्टरों की है सीएमओ कार्यालय से सेटिग
जनपद के बिहार बार्डर व कछार क्षेत्र के अलावा दूर दराज के अस्पतालों में डाक्टर एक माह में एक से दो बार माह के अंत में पहुंचते हैं और पूरे माह की हाजिरी बना देते हैं। इनका सीएमओ कार्यालय के बाबूओं से जबरदस्त सेटिग हैं। बाबू अपने रिस्क पर डाक्टरों को मनमानी की छूट देते हैं। इमरजेंसी सेवा की कौन चलाए ये डाक्टर ओपीडी में भी नहीं पहुंचते हैं। सीएमओ के निरीक्षण के बाद भी नहीं है हनक
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. धीरेन्द्र कुमार लगातार अस्पतालों की जांच की जा रही है। कारण दिशा की मीटिग से लेकर जो भी जन प्रतिनिधि हैं वह सीएमओ से लगातार शिकायत कर रहे हैं कि कोई डाक्टर अस्पताल में नहीं रह रहा है। सीएमओ ने पथरदेवा, गौरीबाजार, तरकुलवा आदि अस्पतालों को रात में चेक किया था। जिसमें सिर्फ गौरीबाजार को छोड़ कही भी इमरजेंसी सेवा में चिकित्सक नहीं मिले। नाराज सीएमओ ने सभी अनुपस्थितों का वेतन रोकने का निर्देश दिया है लेकिन चिकित्सकों की सेहत पर कोई असर नहीं है।
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अस्पतालों की इमरजेंसी सेवा को मैं चेक कर रहा हूं। जहां भी चिकित्सक ड्यूटी से अनुपस्थित मिलेंगे, उन चिकित्सकों की खैर नहीं हैं। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डा. धीरेन्द्र कुमार सीएमओ, देवरिया।