जिला अस्पताल में डायलिसिस फिर ठंडे बस्ते में
डायलिसस वार्ड में 10 बेड बनकर तैयार है मशीनें भी आ गई हैं लेकिन विभागीय लापरवाही से इसे शुरू नहीं किया जा सका है। बिजली विभाग को कनेक्शन के लिए 9.30 लाख रुपये दिया गया कनेक्शन भी हो गया।
देवरिया : सूबे के मुखिया प्रदेश के गंभीर मरीजों को लेकर चितित हैं। बीते दिनों वीडियो कांफ्रेंसिग कर जिला अस्पताल में डायलिसिस शुरू कराने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया था। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी जिला अस्पताल में डायलिसिस शुरु करने की कवायद एक बार फिर ठंडे बस्ते में है। एक माह पूर्व इसे चालू करने की दिशा में प्रयास तेज किया गया। तब ऐसा लगा कि शीघ्र डायलिसिस शुरू हो जाएगा। लेकिन शुरू नहीं हो सका। डायलिसिस पर जीवन व मौत से जूझ रहे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस तरफ किसी का ध्यान नहीं है।
डायलिसस वार्ड में 10 बेड बनकर तैयार है, मशीनें भी आ गई हैं लेकिन विभागीय लापरवाही से इसे शुरू नहीं किया जा सका है। बिजली विभाग को कनेक्शन के लिए 9.30 लाख रुपये दिया गया कनेक्शन भी हो गया। वार्ड में एसी आदि सबकुछ लग कर तैयार है। जब वार्ड बनकर तैयार नहीं था और बिजली का कनेक्शन नहीं मिला था को कार्यदायी संस्था डीसीडीसी दिल्ली हर रोज इंजीनियरों को भेजने के लिए कहती थी लेकिन नौ माह पूर्व जब वार्ड बनकर तैयार हो गया। तो अब लापरवाही बरती जा रही है।
सीएमएस डा. एएम वर्मा ने बताया कि सबकुछ तैयार है, कंपनी डीसीडीसी दिल्ली के अधिकारी से वार्ता हुई है। बहुत जल्द इंजीनियरों को भेजने की बात हुई है। 10 बेड का डायलिसिस वार्ड बनकर तैयार है। इसे शुरू कराने के लिए प्रयास जारी है।
डायलिसिस वार्ड को बना दिया था कोविड एल टू अस्पताल
कोरोना महामारी के दौरान जब कोविड अस्पताल बनाना हुआ तो आनन-फानन में जिला प्रशासन ने डायलिसिस के लिए तैयार वार्ड में ही कोविड एल टू अस्पताल बना दिया। इसके बाद वीडियो कांफ्रेसिग में एक माह पूर्व, मुख्यमंत्री ने डायलिसिस शुरू कराने के निर्देश दिया तो आनन-फानन में उसे खाली कराया गया। उसके बाद संस्था को फोन किया जा रहा है लेकिन एक माह बाद भी कोई नहीं पहुंचा।
जिले में पांच सौ से अधिक गुर्दा रोगी डायलिसिसि के सहारे
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के मुताबिक पांच सौ से अधिक गुर्दा रोगी ऐसे हैं, जिनका डायलिसिस होता है। एक बार की डायलिसिस में तीन से चार हजार रुपये खर्च होते हैं। इसके लिए मरीजों को गोरखपुर, वाराणसी व लखनऊ तक जाना पड़ता है। डायलिसिस शुरू होने के बाद यह सुविधा जिला अस्पताल में निश्शुल्क मिलेगी।