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उन्नत प्रजाति से बढ़ेगी अरहर की पैदावार

अधिक पैदावार लेने के लिए अछी प्रजातियों का करें चयन अंतर फसल के लिए अरहर के साथ मक्का बाजरा या मूंग बोएं

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 11:39 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 11:39 PM (IST)
उन्नत प्रजाति से बढ़ेगी अरहर की पैदावार
उन्नत प्रजाति से बढ़ेगी अरहर की पैदावार

जागरण संवाददाता, पड़री बाजार, देवरिया : जिले में कभी अरहर की खेती बड़े पैमाने पर होती थी। अब अरहर की बोआई में किसानों की रुचि कम हो गई है। जिसके चलते इसका रकबा घटता जा रहा है। अरहर की खेती के प्रति किसान जागरूक हों तो पैदावार अच्छा होगा।

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अच्छी प्रजातियों का चयन व उन्नत तरीके से उगाने से न केवल इसकी पैदावार बढ़ेगी, बल्कि यह अच्छी गुणवत्ता वाले भी होंगे। 125 से 140 दिन में पकने वाली प्रजातियों जैसे उपास 120, पूसा 992, पूसा 2000 व पूसा 2002 का चयन करना चाहिए। 210 से 250 दिनों में तैयार होने वाली प्रजातियों में मालवीय चमत्कार, नरेंद्र अरहर एक, नरेंद्र अरहर दो व राजेंद्र अरहर एक का चयन करना चाहिए। जुलाई तक करें लंबी अवधि वाली किस्मों की बोआई कम अवधि के किस्मों की बोआई जून के अंतिम सप्ताह तक व लंबी अवधि वाली किस्मों की बोआई मानसून आने के साथ जुलाई के प्रथम पखवारे तक अवश्य कर दें। अरहर की बोआई मेड़ बनाकर करने से अच्छा उत्पादन होता है। अरहर को लाइन से ही बोएं। इसके साथ मक्का, हल्दी, उड़द, मूंग व बाजरा की अंतर फसल भी बोई जा सकती है। इसके लिए एक लाइन अरहर एक लाइन मक्का, हल्दी, बाजरा या मूंग लगाएं। लाइन की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर व पौधे से पौधे की दूरी 15 से 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए। अच्छी उपज के लिए प्रति हेक्टेयर आठ से 10 टन गोबर की खाद मिलाकर खेत की जोताई करें। रासायनिक उर्वरकों के लिए 20 से 25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 से 80 किलोग्राम फास्फोरस व 40 किलोग्राम पोटाश तथा साथ में 25 किलोग्राम सल्फर का भी प्रयोग करना चाहिए। उकठा बीमारी से बचने के लिए बीज की बोआई करते समय आठ से 10 ग्राम ट्राइकोडरमा प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। दाना बनते समय बारिश न होने पर सिचाई अवश्य करें। उत्पादित बीज पर मिलेगा प्रोत्साहन राशि

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डा. रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि अरहर की खेती में कम लागत से अधिक उत्पादन कर लाभ कमा सकते है। अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए अच्छे प्रजातियों के चयन के साथ उन्नत तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत दलहनी फसलों के सीड हब का कार्यक्रम चल रहा है। जिसके अंतर्गत दलहनी फसलों के बीज उत्पादित कराए जाते हैं। उत्पादित बीज को न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ 10 से 20 फीसद प्रोत्साहन राशि देकर खरीद की जाएगी।


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