ग्राहकों का भरोसा व खुद का आत्मविश्वास आया काम
देवरिया के दवा विक्रेता महेंद्र भगवानी ने कोरोना काल के अपने अनुभव साझा किए।
देवरिया: किसी भी व्यवसाय में सफलता प्राप्त करना आसान नहीं होता। आमतौर पर व्यवसाय में सफल होने के लिए किसी कारोबारी को अपने व्यक्तित्व से संबंधित कई बातों पर ध्यान देना होता है। अपने अंदर कुछ ऐसे गुण व क्षमता का विकास करना होता है जो कारोबार में सफलता के मुकाम पर पहुंचाने में मदद करता है। कोरोनाकाल में आर्थिक चुनौतियों के बीच दवाएं उपलब्ध कराना किसी के लिए आसान न था। एक तरफ दवाओं के रेंज उपलब्ध कराने के साथ खुद को संक्रमण से बचाने की चुनौती थी तो दूसरी तरफ मरीजों की जान की चिता। विषम परिस्थिति में शहर के मेडिकल स्टोर संचालकों ने न केवल जोखिम उठाया, बल्कि मानवीय संवेदना दिखाते हुए दवाएं उपलब्ध कराईं। ऐसे ही दवा कारोबारी हैं शहर के सिविल लाइंस स्थित आशीर्वाद मेडिकल हाल के महेंद्र भगवानी। वह कहते हैं कि बिना जोखिम के किसी व्यवसाय में सफल नहीं हो सकते। इसमें सहयोगी बनता है खुद का आत्मविश्वास।
महेंद्र भगवानी बताते हैं कि जिले में पहला ईंट भट्ठे की स्थापना मेरे दादा स्व.मंगरमल ने वर्ष 1928 में की थी। इस कारोबार को मेरे पिता सोहनलाल ने आगे बढ़ाया। बाद में हमने पैतृक कारोबार से खुद को अलग करने की सोची। हम दवाओं के कारोबार से अनभिज्ञ थे। 1998 में मैंने सिविल लाइंन में मेडिकल स्टोर खोला। इस क्षेत्र में हम नए थे। शुरू-शुरू में हमें ग्राहकों को जोड़ने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। मेडिकल स्टोर में दवाओं का रेंज हम बढ़ाने लगे। हमारी कोशिश थी कि जो भी पर्चियां आएं, उसमें लिखीं दवाएं हमारे यहां जरूर रहें। इसमें हम ग्राहकों को जोड़ने में कामयाब होते गए। आज दवाओं की अधिकतम रेंज हमारे यहां उपलब्ध है।
महेंद्र भगवानी बताते हैं कि किसी भी व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए ग्राहकों से अच्छा व्यवहार करना जरूरी होता है। यह किसी भी व्यवसाय में सफलता का मूल मंत्र है। इस पर हमने अमल किया। हम लोग ग्राहकों से अच्छा व्यवहार ही नहीं करते हैं, बल्कि अपने स्टाफ को भी ग्राहकों से अच्छे से पेश आने की हिदायत देते हैं। इस कार्य में स्टाफ का सहयोग सराहनीय है।
कोरोना काल में की सेवा
कोरोना काल में मेडिकल स्टोर खोलने के लिए समय तय किया गया था। लोग पर्ची लेकर हमारे यहां आते थे। कतार में खड़े होकर दवाएं खरीदते थे। कई ऐसे बुजुर्ग, महिलाएं व किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित लोग थे जो दुकान तक नहीं आ सकते थे। हमने ऐसे लोगों के लिए गूगल के जरिए डिजिटल व्यवस्था पर जोर दिया। वाट्सएप पर या फोन से दवाएं नोट करते थे और दुकान का कर्मचारी उनके घर भेजकर दवाएं पहुंचवाते थे। गूगल-पे, पे-फोन, पेटीएम या एटीएम से भुगतान की व्यवस्था हमने की। इसका फायदा यह हुआ कि हम ग्राहकों का विश्वास जीतने में सफल रहे। ग्राहकों रिश्तों की डोर और मजबूत की। कोरोना काल में कई ग्राहक पहली बार हमसे जुड़े। इसके लिए गूगल मैप पर सर्च किए और दुकान तक पहुंच गए।
मास्क व शारीरिक दूरी के नियमों का किया पालन
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सभी उपाए किए जा रहे हैं। ग्राहकों को मास्क लगाने पर दवाएं दी जा रही हैं। शारीरिक दूरी का पालन करने पर जोर दिया जा रहा है। लाकडाउन के दौरान दुकान के बाहर खड़े होने के लिए दो गज की दूरी पर गोले बनवाए गए। इन नियमों का पालन आज भी कराया जा रहा है। ग्राहकों का अच्छा सहयोग मिल रहा है। सभी स्टाफ मास्क लगाकर ही दुकान में बैठ रहे हैं। साथ ही हाथ सैनिटाइज कर रहे हैं।
सामाजिक सेवा में निभाई भूमिका
लाकडाउन के समय सामाजिक सेवा में पीछे नहीं था। न्यू कालोनी स्थित गुरुद्वारे को हम लोग सहयोग करते थे। इसके अलावा प्रत्येक रविवार को चार बजे के बाद एक घंटे कोरोना योद्धाओं को पानी व बिस्कुट आदि का इंतजाम करते थे। ऐसे कार्यों से हमें व्यक्तिगत खुशी मिलती है।