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पुलिस की सुस्ती से अराजकता की आग में जला बरहज

बरहज नगर में हुए उपद्रव व लूटपाट के लिए भले ही पढ़ने जा रही छात्रा के साथ छेड़खानी जैसी घटना को जिम्मेदार ठहराया जाए, लेकिन नगर को अराजकता की आग में धकेलने के लिए स्थानीय पुलिस की कार्यशैली कम जिम्मेदार नहीं है

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Dec 2018 11:50 PM (IST)Updated: Thu, 20 Dec 2018 11:50 PM (IST)
पुलिस की सुस्ती से अराजकता की आग में जला बरहज
पुलिस की सुस्ती से अराजकता की आग में जला बरहज

देवरिया : बरहज नगर में हुए उपद्रव व लूटपाट के लिए भले ही पढ़ने जा रही छात्रा के साथ छेड़खानी जैसी घटना को जिम्मेदार ठहराया जाए, लेकिन नगर को अराजकता की आग में धकेलने के लिए स्थानीय पुलिस की कार्यशैली कम जिम्मेदार नहीं है।

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पांच दिन पूर्व पीजी कालेज में पढ़ने जा रही एक छात्रा के साथ ग्राम लवरछी के कुछ युवकों ने छेड़खानी की थी। इसे लेकर कालेज गेट पर लवरछी व गौरा के युवकों से झड़प भी हुई थी। यह चर्चा बाजार में आम हुई तो लगा कि शायद पुलिस कालेज गेट के आस-पास मंडरा रहे मनचलों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। ¨कतु ऐसा नहीं हुआ। छेड़खानी का के विवाद की आग सुलगती रही। 18 दिसंबर को कालेज गेट के निकट एक बार फिर दोनों पक्ष आमने-सामने हो गए। मारपीट में पांच लोग घायल हुए। घटना के प्रतिरोध में लवरछी के दो दर्जन से अधिक युवा लामबंद होकर बाजार होते हुए थाने पहुंचे और बाजार में उपद्रव किया। पुलिस ने न तो इन्हें रोकने की कोशिश की और न ही उपद्रव का प्रतिकार करने निकले गौरा के लोगों। पूरा नगर दिन भर आराजकता की आग में जलता रहा और दूसरे थाने की फोर्स आने का इंतजार करती रही। गौरा के लोग बाजार में खुलेआम असलहे का प्रदर्शन कर रहे थे। बावजूद इसके पुलिस की सचेत नहीं हुई। अराजक तत्वों को भगाने की बात तो दूर उन्हें रोकने तक की कोशिश नहीं की गई। दोपहर बाद कई थानों की फोर्स व पीएसी आई तो मनबढ़ भागे।

मनबढ़ तो भागे लेकिन पुलिस स्थिति की गंभीरता भांपने में चूक गई। तहरीर मिलने के बाद मुकदमा दर्ज करने में हीलाहवाली तो हुई ही नगर में तैनात पीएसी को तहसील में भेज दिया गया। परिणाम हुआ कि आरोपितों पर कार्रवाई की मांग को लेकर अगले ही दिन फिर दुकानदार व गौरा के लोग सड़क पर उतर गए। बाजार में दुकानें बंद कराने के बाद मुख्य चौक पर चक्का जाम कर दिया। भीड़ घटना के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहरा रही थी। पुलिस से यहां भी चूक हुई। सवाल यह है कि जब लोग दुकानें पर बंद करा रहे थे तब भी उन्हें रोकने की कोशिश आखिर क्यों नहीं की गई? नगर में हुई लूटपाट और नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार है? अपर पुलिस अधीक्षक के पहुंचने के बाद उनके निर्देश पर पुलिस ने दोनों पक्षों पर मुकदमा दर्ज किया तब जाकर दुकानदारों का गुस्सा शांत हुए।

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अर्से बाद वर्जस्व के जंग की आहट

नगर में दस वर्ष पूर्व लवरछी, गौरा और पैना के बीच वर्चस्व को लेकर जोर आजमाइश होती रहती थी। शहर में तोड़-फोड़ और लूटपाट आए दिन की बात थी। पुलिस की सख्ती से लंबे समय तक नगर शांत रहा, लेकिन छोड़खानी के बहाने अराजक तत्वों का अपना पांव पसारने का मौका मिल गया है। दो दिन तक नगर को अराजकता की आग में झोंक कर उन्होंने इसका संकेत भी दे दिया है। अगर समय रहते पुलिस न चेती तो एक बार फिर नगर में अराजक तत्वों का प्रभाव बढ़ जाएगा जो, शांति व्यवस्था के लिए खतरा है।

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बरहज की घटना में पुलिस ने पूरी तत्परता दिखाई। दोनों पक्ष से दर्ज मुकदमों में वांछितों की तलाश में दबिश दी जा रही है। जल्द ही आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाएगा।

-शिष्य पाल, अपर पुलिस अधीक्षक, दक्षिणी

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