सड़कों पर बेबस प्रवासियों का रेला, ट्रक की यात्रा मजबूरी
कुछ जगहों पर पैदल जा रहे लोगों को वाहन खड़ा कर पुलिस ने भेजा बार्डर तक -झांसी जाने के लिए नहीं मिला वाहन तो पैदल ही निकल लिया पूरा कुनबा
देवरिया : औरैया में एक दो दिन पहले प्रवासी श्रमिकों से भरे ट्रक हादसे के बाद भी पुलिस प्रशासन ने सबक नहीं लिया। श्रमिकों का ट्रकों पर सवार होकर आने का सिलसिला जारी है। रविवार को भी प्रवासी श्रमिकों का ट्रकों पर सवार होने व पैदल चलने का रेला से राष्ट्रीय राज मार्ग व राज्य मार्ग भरा रहा।
कोरोना वायरस के कहर से प्रवासी श्रमिक अपने पैतृक गांव में पहुंचने को बेताब हैं। ट्रेन व बस की सुविधा नहीं मिली तो कुनबे के साथ कुछ ने पैदल राह पकड़़ कर आ रहे हैं। भले ही मुख्यमंत्री ने ट्रक, आटो व पैदल जा रहे मजदूरों को रोकने के साथ ही वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद श्रमिकों से भरे ट्रक, पिकअप जैसे वाहनों को कही भी रोका नहीं गया। हालांकि पुलिस कुछ जगहों पर पैदल जा रहे लोगों को उस रास्ते से गुजर रहे वाहनों में बैठाकर उन्हें बार्डर तक छोड़ दिया।
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केस स्टडी-
दोपहर सिविल लाइन रोड से पुरवा की तरफ एक ट्रक तेजी से जाते हुए नजर आया। जिसमें लगभग पचास श्रमिक सवार थे। ट्रक रोक कर पड़ताल की गई तो पता चला कि वह मुम्बई में काम करते थे और वह बिहार के बेतिया के निवासी है। घर से पैसा मंगाकर ट्रक चालक को एक-एक लोगों ने चार-चार हजार रुपये दिया है।
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प्रवासी श्रमिकों की सुनिए पीड़ा:
बलिया निवासी गया राम का परिवार दिल्ली में रहता है, वह भी ट्रक से गोरखपुर बाइपास पहुंचे और वहां से पैदल ही देवरिया रोडवेज पहुंच गए। घंटों वहा बैठे रहे। इस बीच पुलिस कर्मियों ने एक ट्रक को रोक कर उन्हें भागलपुर पुल तक भिजवा दिया।
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बाइक से चालीस घंटे का सफर
एकौना: गोरखपुर के झंगहा थाना क्षेत्र के ग्राम खुरुहरी निवासी अमित और गौतम विश्वकर्मा एक ही बाइक से हैदराबाद से अपने घर के लिए पहुंच गए। रविवार को वह बाइक से करहकोल पुल पर पहुंचे। उनका कहना था कि वह चालीस घंटे से बाइक लगातार चलाकर यहां तक पहुंचे हैं।
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ओवरलोड ट्रकों पर सवार श्रमिकों की हिफाजत के लिए दिशा-निर्देश दिया गया है। पुलिसकर्मियों को जिम्मेदारी दी गई है कि पैदल कोई भी प्रवासी आता है, तो उसे वाहन पर बैठाकर गंतव्य को भेजा जाय।
डा.श्रीपति मिश्र
एसपी