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प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को गंदे बेड पर लिटाया

जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों की चिकित्सा व्यवस्था पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही है। हाल यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों को इलाज की जगह दर्द मिल रहा है। डाक्टर हो चाहे कर्मचारी किसी का व्यवहार मरीजों के प्रति ठीक नहीं है। वहीं दु‌र्व्यवस्था के बीच जैसे-तैसे अस्पतालों को चलाया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Jun 2019 11:23 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jun 2019 11:23 PM (IST)
प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को गंदे बेड पर लिटाया
प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को गंदे बेड पर लिटाया

देवरिया: जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों की चिकित्सा व्यवस्था पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही है। हाल यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों को इलाज की जगह दर्द मिल रहा है। डाक्टर हो चाहे कर्मचारी, किसी का व्यवहार मरीजों के प्रति ठीक नहीं है। वहीं दु‌र्व्यवस्था के बीच जैसे-तैसे अस्पतालों को चलाया जा रहा है। जागरण ने भागलपुर क्षेत्र के परसिया चंदौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दौरा कर हकीकत जानने का प्रयास किया तो परत दर परत खुलती गई। यहां कर्मचारियों की मनमानी साफ तौर पर दिखी। मरीज यहां इलाज के लिए तरह रहे हैं तो डाक्टर व कर्मचारी पेयजल के लिए। प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को गंदगी के बीच बिना चादर बेड पर लिटाया गया था।

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जागरण टीम अस्पताल में दाखिल हुई तो एड्स विभाग के एआरटी कक्ष में चार महिला कर्मी बातों में मशगूल थीं। बरामदे में चारपाई पर एक व्यक्ति आराम फरमा रहा था। डेंटल हाइजीनिस्ट कक्ष में मशीनें खराब तथा कुर्सी खाली थी। दवा वितरण कक्ष में फार्मासिस्ट कक्ष खाली था। मरीज दवा के लिए उनका इंतजार कर रहे थे। पूछने पर पता चला, आए हैं कहीं गए होंगे अभी आ जाएंगे। दूसरे कक्ष में डा.गोपाल यादव मरीजों को देख रहे थे। पूछने पर बताया कि चिकित्साधिकारी डा.नीलिमा मिश्रा जिला मुख्यालय गई हैं। एक्स-रे मशीन खराब है। डाक्टर प्राइवेट में मरीजों को एक्स-रे के लिए भेजते हैं। एलटी प्रमोद मिश्र टीबी अभियान में ड्यूटी कर रहे हैं। जब जांच किट रहता है तब जांच होता है और किट समाप्त होने के बाद जांच कार्य ठप हो जाता है। उधर लेबर रूम में डेहरी गांव निवासी चिता देवी पत्नी दयानंद को प्रसव के बाद बेड पर बिना चादर गंदगी के बीच नवजात के साथ लिटाया गया था। वार्ड से सटे वेस्टेज, नीडिल, रुई, पट्टी व खाली बोतलें आदि कचरा फेंका गया है। पूरा परिसर झाड़-झंखाड़ से पटा मिला। जेनरेटर है, लेकिन चलता नहीं है, डी फ्रीजर नहीं है, इंजेक्शन व पोलियो अभियान में भागलपुर अस्पताल से दवाएं व वैक्सीन मंगानी पड़ती हैं। बिजली आती है तो मोटर चलता है। बिजली नहीं आई तो पानी की टंकी खाली होने के बाद डाक्टर व मरीजों को बाहर से पेयजल मंगाना पड़ता है। हैंडपंप दूषित जल दे रहा है उसका पानी कोई नहीं पीता। इलाज कराने आए मरीजों में बाबू बरठी की बिट्टू देवी ने कहा कि बदन में दर्द है पर्ची लगाई हूं। देखें कब डाक्टर साहब देखते हैं। यहां बहुत लापरवाही है। सभी दवाएं यहां नहीं मिलती, एक-दो दवा देकर कहते हैं बाहर से खरीद लीजिएगा। गरीबों के लिए सरकार दवा भेजती है, लेकिन ये लोग दवा नहीं देते। परसिया चंदौर निवासी विशाल सिंह अपने बेटे मयंक को इलाज के लिए लेकर आए थे। बेटे की नाक में दर्द था, जिससे वह परेशान है। विशाल ने बताया कि यहां कभी पूरा दवा नहीं मिलता। डाक्टर साहब व कर्मचारी भी अपनी मर्जी के मालिक हैं। कब बैठेंगे और कब चले जाएंगे कोई ठिकाना नहीं है।

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मैं अभी प्रभारी चिकित्साधिकारी से बात करता हूं। प्रसव के बाद बिना चादर बेड पर लिटाना यह ठीक नहीं है। सभी चिकित्सकों व कर्मचारियों को सख्त निर्देश है कि समय से ड्यूटी करें। मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ हर हाल में मिलना चाहिए। जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

डा.धीरेंद्र कुमार, सीएमओ, देवरिया

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