जिले में सूख गई 200 हेक्टेयर गन्ने की फसल
जनपद में किसानों ने 10452 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की खेती की है। बरसात के मौसम में अतिवृष्टि ने सब खेल बिगाड़ दिया।
देवरिया: जिले में गन्ना किसानों पर प्रकृति का कहर तो रहा तो इस बीच रोगों को भी बल पांव पसारने का अवसर मिल गया। 923 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लाल सड़न रोग लग गया। ऐसे में किसानों की 200 हेक्टेयर से अधिक फसल नष्ट हो गई। किसान चाहते हुए भी कुछ नहीं कर सके और अपनी बर्बादी का तमाशा देखते रहे। नष्ट गन्ने की कीमत पांच करोड़ रुपये से अधिक बतायी जा रही है।
जनपद में किसानों ने 10452 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की खेती की है। बरसात के मौसम में अतिवृष्टि ने सब खेल बिगाड़ दिया। गौरीबाजार, बैतालपुर, पथरदेवा, देवरिया सदर, प्रतापपुर, बनकटा, भिगारी बाजार क्षेत्र में गन्ने की फसलों में पानी लगने से लाल सड़न रोग लग गया और किसानों को काफी क्षति हुई। क्या है लाल सड़न रोग
गन्ने के अंदर लाल रंग के हिस्से में गन्ना सूख जाता है, उसमें होल बन जाता है। उसमें रस नहीं निकलता है। ऐसे में गन्ने की फसल खराब हो जाती है। यह रोग पानी लगने के बाद या अन्य कारणों से भी गन्ने की फसल में प्रभावी हो जाता है। यह 0264 प्रजाति में सर्वाधिक होता है। ऐसे में इस प्रजाति के गन्ने को बोने से किसान को परहेज करना चाहिए। फसल में लाल सड़न रोग लगने पर क्या करें
गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग लगने पर ब्लीचिग पाउडर का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। फसल चक्र में परिवर्तन करना चाहिए। इससे बचाव का एकमात्र उपाय बीज शोधन है। इसकी कोई कारगर दवा नहीं है। जिससे इसे समाप्त कर दिया जाए। जिले के 923 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लाल सड़न रोग का प्रभाव था। गन्ने के बचाव के लिए ब्लिचिग पाउडर व जल निकासी की व्यवस्था की गई। विभाग के कर्मचारी गन्ने के खेत में किसानों के साथ गए और फसलों को बचाने का पूरा प्रयास किए। हम लोगों ने बचाव के जो भी प्रयास हो सकते थे किए लेकिन भारी वर्षा के कारण अधिकांश खेतों में जल जमाव समाप्त नहीं किया जा सका।
आनंद कुमार शुक्ल, जिला गन्ना अधिकारी