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राम व भरत के पद चिह्न के साथ 'भ्रातृ प्रेम' के होंगे दर्शन

जागरण संवाददाता चित्रकूट कामदगिरि परिक्रमा

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 11:28 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 11:28 PM (IST)
राम व भरत के पद चिह्न के साथ 'भ्रातृ प्रेम' के होंगे दर्शन
राम व भरत के पद चिह्न के साथ 'भ्रातृ प्रेम' के होंगे दर्शन

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : कामदगिरि परिक्रमा स्थित भरत मिलाप मंदिर में अभी तक श्रद्धालु भगवान राम और भ्राता भरत के अगाध प्रेम के दर्शन पत्थरों में पद चिन्ह से करते हैं लेकिन अब यह 'भ्रातृ प्रेम' मूर्ति रूप में देखने को मिलेगा। परिसर में नागर शैली का विशाल मंदिर बनने जा रहा है। जिसमें भगवान राम व भरत मिलाप, रामदरबार समेत विभिन्न मूर्ति स्थापित की जाएगी। इस मंदिर का निर्माण मध्यप्रदेश जबलपुर के ठेकेदार गुलाब सिंह करा रहे हैं। एक साल में मंदिर निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

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शुक्रवार को मंदिर निर्माण के लिए होगा भूमि पूजन

भरत मिलाप मंदिर के महंत राममनोहर दास बताते हैं कि नए मंदिर निर्माण के लिए शुक्रवार को भूमि पूजन होगा। जिसमें चित्रकूट के सातों अखाड़ा, मठ मंदिर और आश्रमों के संत महंत निशान के साथ शामिल होंगे। उन्हीं के सानिध्य में भूमि पूजन का कार्यक्रम संपन्न होगा। मंदिर का निर्माण कामदगिरि की तलहटी पर होगा। पद चिन्ह व प्राचीन मंदिरों से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।

पिता का था भरत जी चरणों पर अगाध प्रेम

मंदिर का निर्माण करा रहे गुलाब सिंह पवार कहते हैं कि उनको पिता खिलावन सिंह का भरत जी के चरणों पर अगाध प्रेम व अनुराग था। उनकी प्रेरणा से वह भी भरत जी के सेवक हैं। एक बार वैसा ²श्य देखना चाहते हैं कि जो भगवान राम व भरत जी मिलाप में चित्रकूट में हुआ था। दो साल पहले उनके पिता का स्वर्गवास हो गया है। भगवान राम व पिता की प्रेरणा से मंदिर बनवा रहे हैं।

नागर शैली के मंदिर की विशेषता

मंदिर का निर्माण देखने वाले इंजीनियर दिनेश कोस्टा बताते हैं नागर शैली उत्तर भारतीय हिदू स्थापत्य कला की एक शैली है। खजुराहो के मंदिर नागर शैली में निर्मित हैं। इस शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है। इसमें मंडप, शिखर, कलश, गर्भगृह के साथ आंतरिक दीवारों को भित्ति चित्रों से ढका जाएगा। दो मंजिला शिखर होगा। विभिन्न स्तरों नक्काशी के साथ छत के रूप में छज्जा जैसा मंच होगा। इन छज्जों को बालकनी के आकार के आधार पर धनुषाकार बनाया जाएगा।


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