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जब मूलभूत सुविधाएं ही नहीं तो कैसे हो वाहनों की फिटनेस

शोभित श्रीवास्तव लखनऊ सड़क दुर्घटनाओं की मुख्य वजह वाहनों की फिटनेस भी है। कितु परिवह

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 11:38 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 11:46 PM (IST)
जब मूलभूत सुविधाएं ही नहीं तो कैसे हो वाहनों की फिटनेस
जब मूलभूत सुविधाएं ही नहीं तो कैसे हो वाहनों की फिटनेस

शोभित श्रीवास्तव, लखनऊ : सड़क दुर्घटनाओं की मुख्य वजह वाहनों की फिटनेस भी है। कितु परिवहन विभाग वाहनों की फिटनेस को लेकर गंभीर नहीं है। आज भी संभागीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) में वाहनों की फिटनेस जांचने के लिए मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं हैं। इस कारण फिटनेस के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। फाइलों में वाहन फिट हैं परंतु सड़कों पर जर्जर वाहन दौड़ते नजर आ जाएंगे।

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स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वाहनों की चेचिस की जांच के लिए जरूरी पिट तक कई आरटीओ ऑफिस में नहीं हैं। कई जगह तो वाहनों की जांच के लिए जरूरी तकनीकी लोग ही नहीं हैं। पहले सरकार ने आरटीओ आफिस में वाहनों की फिटनेस जांचने के लिए पिट बनवाने शुरू किए, कितु इसे बीच में ही रोक दिया गया। अब केवल लखनऊ में अत्याधुनिक इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर बनाया गया है। इसमें आधुनिक मशीनों से वाहनों की फिटनेस की जांच होती है। आगरा और कानपुर में इस तरह का सेंटर बन रहा है। बरेली में भी ऐसा ही सेंटर प्रस्तावित है।

बड़ा सवाल यह है कि लखनऊ में केवल एक सेंटर बन जाने से इतने बड़े प्रदेश के वाहनों की फिटनेस नहीं जांची जा सकती है। जब तक जिला स्तर पर इस तरह के सेंटर नहीं खोले जाएंगे तब तक वाहनों की फिटनेस कागजों पर ही होती रहेगी। मूलभूत सुविधाएं न होने का असर वाहनों की जांच पर पड़ रहा है। करीब 80 फीसद कॉमर्शियल वाहन बिना फिटनेस सड़कों पर दौड़ रहे हैं। यही वाहन लोगों की जान का खतरा बन रहे हैं।

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कागजों में होती है इन मानकों की जांच

-इंडीकेटर लाइट, खिड़की-दरवाजे

-चेचिस की हालत, टायर-टयूब की स्थिति

-तकनीकी तौर पर इंजन सहित पूरे वाहन की स्थिति

-अगली धुरी व स्टेयरिग की स्थिति

-क्लच व गियर बॉक्स, हेडलाइट, बैकलाइट

-साइलेंसर व ब्रेक की हालत

-सस्पेंशन सिस्टम

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वाणिज्यिक कार्य में लगे हैं ट्रैक्टर-ट्राली

कृषि कार्य वाले ट्रैक्टर ट्राली वाणिज्यिक कार्य में लगे हैं। ट्राली में पीछे न तो कोई लाइट लगी होती है और न ही रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप। इस कारण रात में ट्रैक्टर ट्राली सड़क दुर्घटना का बड़ा कारण बनती हैं। कृषि कार्य वाले ट्रैक्टर ट्राली से बालू, मौरंग, गिट्टी, ईंट, मिट्टी सहित भवन निर्माण सामग्री ढोई जाती है। परिवहन विभाग के अफसर भी इनके खिलाफ कभी कोई अभियान नहीं चलाते हैं।

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इंस्पेक्शन सेंटर के लिए नहीं मिल रहे प्राइवेट पार्टनर

प्रदेश सरकार हर जिले में इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर बनाना चाहती है। सरकार चाहती है कि यह सेंटर प्राइवेट सेक्टर के लोग आकर खोलें। लेकिन सरकार की इस योजना में प्राइवेट पार्टनर दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इस कारण फिटनेस जांचने के लिए यह सेंटर नहीं बन पा रहे हैं।

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प्रदेश में वाहनों की संख्या

ट्रक व लारी-212368

मल्टी एक्सल वाहन-164092

बस-109765

टैक्सी-222531

कार-35 लाख

मोटर साइकिल व स्कूटर-2.80 करोड़

ट्रैक्टर-15.22 लाख

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कोट

यह बात सही है कि वाहनों की जांच के लिए हमारे पास मूलभूत सुविधाओं की कमी है। आरटीओ ऑफिस में आरआइ वाहनों की जांच करते हैं कितु उनके पास भी उतना तकनीकी ज्ञान नहीं होता है। प्रदेश के सभी जिलों में अत्याधुनिक इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर बनाने की योजना है। कितु एक सेंटर बनाने में आठ से 10 करोड़ रुपये का खर्च आता है। इसलिए निजी क्षेत्रों में यह सेंटर बनाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि प्राइवेट पार्टनर अभी इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जल्द ही योजना में कुछ बदलाव किए जाएंगे।

राजेश कुमार सिंह, प्रमुख सचिव परिवहन


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