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जंगली क्षेत्रों में जलकुंड बुझाएंगे बेजुबानों की प्यास

जागरण संवाददाता बांदा जंगली जीव जंतुओं को गर्मी में प्यास बुझाने के लिए भटकना नहीं पड़े इ

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 11:03 PM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 11:03 PM (IST)
जंगली क्षेत्रों में जलकुंड बुझाएंगे बेजुबानों की प्यास
जंगली क्षेत्रों में जलकुंड बुझाएंगे बेजुबानों की प्यास

जागरण संवाददाता, बांदा: जंगली जीव जंतुओं को गर्मी में प्यास बुझाने के लिए भटकना नहीं पड़े, इसके लिए वन विभाग ने पांच गांवों में जलकुंड बनाए हैं। तालाब जैसे इन जलकुंडों को प्राकृतिक जलस्त्रोतों से जोड़कर इनमें पानी की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही बारिश के पानी को भी भंडारित किया जाएगा, जो बेजुबानों के काम आएगा।

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मई-जून की भीषण गर्मी में इंसान ही नहीं बेजुबान भी प्यास बुझाने के लिए इधर उधर भटकते हैं। सबसे ज्यादा संकट जंगली जीव जंतुओं के सामने रहता है। जंगली क्षेत्रों के जलस्त्रोत जब जवाब दे देते हैं उस समय जानवरों को मीलों सफर के बाद भी पानी नसीब नहीं हो पाता है। ऐसे में बहुत से जानवरों की मौत भी हो जाती है।

केंद्र की योजना के तहत एक-एक लाख आई लागत

गर्मी में पेयजल संकट से निपटने के लिए भारत सरकार की नेशनल एडाप्टेशन फंड फॉर क्लाइमेट चेंज योजना के तहत जंगली क्षेत्र के पास वाले पांच गांवों में एक-एक लाख की लागत से जल कुंड बनाए गए हैं।

इन गांवों में बनकर हुए तैयार

जिले के करतल, सढा़, डढ़वामानपुर, अमारा व माचा में इनको बनाया गया है। वजह, इसके आसपास जंगली इलाका है। विभागीय जानकारी के मुताबिक करतल समेत सभी जगह जलकुंड बनकर तैयार हो गए हैं। जलकुंडों को प्राकृतिक जलस्त्रोतों से जोड़कर इनमें पानी भंडारित किया जाएगा ताकि पानी की उपलब्धता बनी रहे। साथ ही बारिश का पानी भी इनमें भंडारित किया जाएगा।

इनसेट

75 फीसद जलस्त्रोत दे जाते हैं जवाब

संवाद सूत्र करतल : क्षेत्र का अधिकांश भूभाग जंगलों से घिरा है। गर्मी के दिनों में यहां के करीब 75 फीसद जलस्त्रोत सूख जाते हैं। तालाब, पोखर, कुआं व अन्य स्त्रोत जब जवाब दे जाते हैं उस समय पानी का भीषण संकट खड़ा होने पर दूर-दूर से पानी का इंतजाम करना पड़ता है। ऐसे में जंगली जीव जंतुओं के लिए पेयजल का इंतजाम होना बहुत जरूरी है।

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बोले जिम्मेदार

वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जंगली इलाकों के आसपास जलकुंड बनाए गए हैं। इनमें भंडारित जल से जंगली जानवरों की प्यास बुझेगी। पानी के लिए वह आबादी वाले क्षेत्र में नहीं घुसेंगे।

एमपी गौतम, उपप्रभागीय वनाधिकारी


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