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दिलों में उतरी विकास, सामाजिक समरसता-धर्म की त्रिवेणी

-प्रदेश में वाल्मीकि जयंती समारोह रामायण पाठ का लोगों में फूंका मंत्र -जुबां पर बने रहे

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 11:32 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 11:32 PM (IST)
दिलों में उतरी विकास, सामाजिक समरसता-धर्म की त्रिवेणी
दिलों में उतरी विकास, सामाजिक समरसता-धर्म की त्रिवेणी

-प्रदेश में वाल्मीकि जयंती समारोह, रामायण पाठ का लोगों में फूंका मंत्र

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-जुबां पर बने रहे नानाजी और महर्षि वाल्मीकि, मिशन-2022 का आगाज

शिवा अवस्थी, चित्रकूट : बुंदेलों की धरती पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अलग-अंदाज में दिखाई पड़े। उनके एक-एक शब्द से हर दिल तक विकास, सामाजिक समरसता और धर्म की त्रिवेणी बही, जिसे जनसभा स्थल पर मौजूद हर कोई आत्मसात करते दिखाई पड़ा। सीएम ने लोगों के अंदर वाल्मीकि जयंती समारोह और रामायण पाठ से धर्म का मंत्र फूंका तो जुबां पर नानाजी और महर्षि वाल्मीकि के गौरव गान ने समरसता व ग्रामीण विकास का संदेश दिया। पूरी रौ में नजर आए सीएम ने मिशन-2022 का आगाज किया। भारत माता की जय और वंदेमातरम के उद्घोष से राष्ट्रभक्ति से सराबोर किया। इसके बाद प्राचीन परंपरा के वाहक दो ऋषियों की बात कर लोगों को पवित्र चित्रकूट धरा से जोड़ा। कहा कि नानाजी ने आत्मनिर्भर भारत की पटकथा लिखी और ग्रामीण स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया। वहीं, वाल्मीकि जी ने हजारों साल पहले ही भगवान राम से मिलकर लोगों को उनकी जानकारी देकर सबको धर्म मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। मौजूदा केंद्र व प्रदेश की सरकारें भी उसी राहत पर चल रही हैं। जनता की दी गई ताकत से रामराज्य को साकार कर रहे हैं। प्रदेश सरकार की उपलब्धियां गिनाई। कहा कि पेंशन, आवास, कृषि अनुदान, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना, किसान सम्मान निधि ने सहारा दिया है। वाल्मीकि समाज से दिखाई करीबी

लालापुर में जनसभा स्थल पर वाल्मीकि समाज की ओर से भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री प्रेम चंद्र वाल्मीकि की अगुवाई में पांच लोगों ने अभिवादन किया। इससे सामाजिक समरसता का संदेश देकर मुख्यमंत्री ने उनसे करीबी भी दिखाई। हर तबके के साथ खुद के खड़े होने का अहसास कराया।

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आदि कवि से सीख लेने की नसीहत

मुख्यमंत्री अपने मन की बातें सामने लाने से कोई गुरेज नहीं करते हुए दिखे। कहा कि भगवान राम से सबका साक्षात्कार कराने वाले वाल्मीकि जी के आश्रम में अर्से से आने की सोच थी। वाल्मीकि रामायण लौकिक भाषा का महाकाव्य है। इसीलिए वह आदि कवि कहलाए। हर किसी को उनके कृतित्व व किए गए कार्यो से सीख लेना चाहिए।


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