Move to Jagran APP

आदिवासी समुदाय को सेहत का 'पाठ' पढ़ा रहीं पंचू दीदी

संवाद सूत्र बरगढ़ (चित्रकूट) शिक्षा गरीबी और पिछड़ेपन का शिकार आदिवासी समुदाय अब स्वास्थ्य

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 12:32 AM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 12:32 AM (IST)
आदिवासी समुदाय को सेहत का 'पाठ' पढ़ा रहीं पंचू दीदी
आदिवासी समुदाय को सेहत का 'पाठ' पढ़ा रहीं पंचू दीदी

संवाद सूत्र, बरगढ़ (चित्रकूट)

loksabha election banner

शिक्षा, गरीबी और पिछड़ेपन का शिकार आदिवासी समुदाय अब स्वास्थ्य शिक्षा का पाठ पढ़ रहा है। यह संभव हो रहा है कि 'पंचू दीदी' की मेहनत और लगन है। पिछले दो साल से वे लगातार बरगढ़ घाटी में स्थित आदिवासियों के घर जाकर उन्हें सेहत दुरुस्त रखने संबंधी जानकारियां देने के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में भी बताती हैं।

मऊ ब्लॉक के गोइया खुर्द स्थित सत्यनारायण नगर में रहने वाली पंचवती देवी को आदिवासी समुदाय आसपास के गांवों में लोग 'पंचू दीदी' के नाम से जानते हैं। कोल आदिवासी समुदाय की पंचवती बताती हैं कि 2004 में उनकी शादी महज 14 वर्ष की उम्र में गोइया खुर्द के ब्रजेश कुमार के साथ हुई थी। 18 वर्ष की होने पर गौना हुआ। किशोर उम्र में शादी होने की वजह से पढ़ाई भी पूरी नहीं कर सकीं, लेकिन शादी के बाद पति ने साथ दिया और दसवीं की परीक्षा पास की। इसके बाद प्राइवेट फार्म भरकर इंटरमीडिएट किया और अपनी ननद व देवर को भी पढ़ाया। इसी बीच आदिवासी समुदाय की बेहतरी के लिए कुछ करने की इच्छा हुई। 2014 से लोगों को सेहत संबंधी जानकारियां देना शुरू कर दिया। अन्य महिलाएं जुड़ीं तो 2016 में शारदा स्वयं सहायता समूह का गठन कर इसे बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया। बरगढ़ इलाके में तैयार कराए 60 समूह

पंचवती ने बरगढ़ समेत छह ग्राम पंचायतों सेमरा, खोहर, तुरगवां आदि में 60 समूह तैयार कराने में मदद की। यह समूह भी लोगों को स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति जागरूक कर रहे हैं। इससे क्षेत्र में संस्थागत प्रसव बढ़े हैं, जबकि मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी आई है। ये काम कर रहा समूह

1. रोग के संबंध में रोगी के भ्रमात्मक विचार तथा अंधविश्वास को दूर करना।

2. रोगी का उपचार, स्वास्थ्य रक्षा तथा रोग से बचने के उपायों के बारे में बताना।

3. मरीज को अपने प्रति विश्वास दिलाना ताकि वह अपने परिवार की स्वास्थ्य रक्षा के लिए समय रहते राय ले सके।

4. स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में बताना, अस्पताल की जानकारी देना और समय पड़ने पर इलाज के लिए भर्ती कराना

5. गर्भवती महिलाओं की समय पर जांच के साथ टीका लगवाने की सलाह। चिकित्सक की देखरेख में प्रसव कराना व बच्चे को मां का दूध पिलाना।

6. मां का पहला दूध देवी-देवताओं को चढ़ाने की प्रथा को खत्म करना।

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य शिक्षा समूह गठित होने से काफी बदलाव आया है। इसकी मॉनीटरिग की जिम्मेदारी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात चिकित्सकों को दी गई है, ताकि और बेहतरी लाई जा सके। इन्हें अनुदान भी दिया जाता है।

डॉ. राजेंद्र सिंह, सीएमओ चित्रकूट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.