अनाज बंटता आधा, दर्द कौन करेगा साझा
जागरण संवाददाता चित्रकूट बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने वैसे तो हर किसान की कमर तोड़ द
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने वैसे तो हर किसान की कमर तोड़ दी है लेकिन सबसे बेरहम मार बटाईदारो पर पड़ी है। उनके खून-पसीने की मेहनत पर पानी फिर गया है और मदद की उम्मीद भी नहीं है क्योंकि सरकार उसी को आर्थिक मदद करेगी जिसके पास जमीन के कागजात या खेती के एग्रीमेंट है। जिले में एग्रीमेंट के साथ खेती करने वाला कोई बटाईदार नहीं है।
किसान के रहमोकरम से लाभ
बुंदेलखंड में बड़े किसान अपनी अधिक खेती बटाई पर कराते हैं। बटाईदार हाड़तोड़ मेहनत कर फसल पैदा कर आधा हिस्सा किसान के घर पहुंचाता है। अब उसको मुआवजा के लिए किसान की रहमोकरम की जरूरत है। यदि वह चाहेगा तो मुआवजे की कुछ रकम उसको मिल पाएगी।
खेत बटाई की यह है व्यवस्था
बटाईदार किसी किसान का खेत लेता है तो खेत की जोताई, बोआई, सिचाई और खाद के खर्च का आधा-आधा रहता है। वैसे पहले खर्च पूरा किसान खुद करता है और उसका हिसाब लिख लिया जाता है। उपज बेचने पर फिर हिसाब होता है।
जिले का कृषि ढांचा
- कुल किसान - 2.16 लाख
- बड़े किसान - 12 हजार
- लघु किसान - 1.44 लाख
- सीमांत किसान- 60 हजार
- बटाईदार - 75 हजार (अनुमानित)
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सात बीधा बटाई की खेती में ओला से गेहूं व सरसों की फसल चौपट हो गई। अब तो यही फिक्र है कि कैसे परिवार की गुजर-बसर होगी।
रामचंद्र प्रजापति मड़हा बरगढ़ (बटाईदार) साढ़े चार बीघा की फसल चौपट हो गई है अब मूल खातेदार को अनाज व पैसा कैसे देगा उसकी चिता है।
राजेंद्र मऊ (बटाईदार) बटाईदारों के लिए सरकार ने कुछ सोचा है उनके मुआवजा की भी व्यवस्था की जाएगी।
चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, राज्यमंत्री जिस बटाईदार का किसान से एग्रीमेंट होगा उसको मुआवजा का लाभ मिलेगा। बाकी सरकार जो निर्णय लेगी।
शेषमणि पांडेय, जिलाधिकारी जिले में अधिकांश बड़े किसान बटाई पर खेती कराते है लेकिन उनका कोई एग्रीमेंट नहीं होता है।
टीपी शाही, उप कृषि निदेशक