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चीन को हराएंगे चित्रकूट के टैंक व जहाज

हेमराज कश्यप चित्रकूट प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में लकड़ी के खिलौने तो करीब 200 साल से बनत

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 10:14 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 10:14 PM (IST)
चीन को हराएंगे चित्रकूट के टैंक व जहाज

हेमराज कश्यप, चित्रकूट

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प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में लकड़ी के खिलौने तो करीब 200 साल से बनते हैं लेकिन देश-दुनिया के क्षितिज पर छाने को तैयार अब हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन में यहां के लकड़ी के खिलौने चीन के खिलौनों को चुनौती देने को ताल ठोक रहे हैं। लट्टू व फिरकी बनाने वाले शिल्पकार अब टैंक, युद्धपोत व जहाज आदि बना रहें है। यहां की शिल्पकारी को काढ़ने में एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया ने अहम भूमिका निभाई। शिल्पकारों को दो माह के प्रशिक्षण में नई तकनीक से खिलौनों की नई डिजाइन बताईं और पैकिग व मार्केटिग के गुर सिखाए।

अभी तक खिलौना व्यवसाय में दूसरे देशों का आधिपत्य था जिसमें चीन की बड़े हिस्सेदारी थी लेकिन अब भारत सरकार खिलौना व्यवसाय को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है। प्रदेश की योगी सरकार ने चित्रकूट के लकड़ी के खिलौना को एक जिला एक उत्पाद में चुना। वहीं 27 फरवरी से दो मार्च तक चलने वाले 'वर्चुअल इंडियन टॉय फेयर' से चित्रकूट के लकड़ी खिलौना उद्योग को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है।

माधुरी सिंह ने अंतराष्ट्रीय बाजार की मांग पर दी डिजाइन

चित्रकूट के खिलौने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में धूम मचा सकें, इसके लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया ने डिजाइनर माधुरी सिंह को जिम्मेदारी दी है। वह शिल्पकारों को समय के अनुकूल नई-नई डिजाइन की जानकारी देती हैं। वह कहती हैं कि यह आत्मनिर्भर भारत के तहत वोकल फार लोकल को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। अभी तक यहां के शिल्पकार सिर्फ फिरकी, लट्टू, चट्टू आदि देहाती खिलौने बनाते थे। अब प्रशिक्षण के बाद उनकी कला में निखार आया है। अब वह लकड़ी के वह खिलौने बनाने लगे हैं जो प्लास्टिक या अन्य मेटल में बनते थे।

ये खिलौने बन रहे यहां

टैंक, जहाज, हेलीकाप्टर, युद्धपोत, ट्रेन, इंजन गाड़ी, झुनझुना, स्टेप्लर, कछुआ, पेन होल्डर, हाथी, घोड़ा, हिरन, कुत्ता, हिप्पो, बच्चों के काउंटिग गेम, बच्चे के रीडिंग गेम, गुड्डा गुड़िया आदि।


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