बालाजी मंदिर दे रहा हिदू-मुस्लिम एकता का संदेश
जागरण संवाददाता चित्रकूट धार्मिक कट्टरता के लिए बदनाम रहे मंदिर व मूर्ति भंजक मुगल शासक
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : धार्मिक कट्टरता के लिए बदनाम रहे मंदिर व मूर्ति भंजक मुगल शासक औरंगजेब को भी चित्रकूट में नतमस्तक होना पड़ा था। उसने धार्मिक सौहार्द की मिसाल कायम करने के लिए भगवान श्रीराम की तपोस्थली में मंदाकिनी तट पर बालाजी मंदिर बनवाया था। जो आज हिदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बना है।
वर्ष 1683 हुआ था निर्माण
चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के रामघाट से पांच सौ मीटर दूर औरंगजेब ने लगभग साल 1683 में हिदू संत बालक दास के कहने से बालाजी मंदिर निर्माण कराया था। मंदिर में भोग प्रसाद के लिए अपने खजाने से रोज एक रुपये की व्यवस्था भी की थी और मंदिर के रखरखाव के लिए 8 गांवों में 330 बीघा जमीन दान की थी। एक ताम्रपत्र में इस आदेश को गजट भी किया था। अंग्रेजी हुकूमत ने भी गजट मे मुहर लगाई थी।
चित्रकूट में मंदिर न तोड़ने की खाई थी कसम
धर्मनगरी से औरंगजेब में क्रांतिकारी परिवर्तन आए थे। वह न केवल धार्मिक हो गया वरन मठ मंदिरों को न तोड़ने की भी कसम खाई थी। इतिहासकार डॉ.चंद्रिका प्रसाद ललित बताते हैं कि मुगल शासक औरंगजेब ने अपने शासन काल में सभी मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया था। बनारस का विश्वनाथ मंदिर, मथुरा के तमाम मंदिरो के अलावा कई हिदू देवी-देवताओं के प्रसिद्ध मंदिर तोड़ दिए थे।
यह है किवदंती
बाला जी मंदिर निर्माण में किवदंती प्रचारित हैं कि औरंगजेब ने चित्रकूट आते ही सेना को आदेश दिया था कि सुबह होते ही यहां के सभी मठ-मंदिरों को तोड़कर मूर्तियां मंदाकिनी नदी में बहा दें लेकिन सेना के सभी जवानों के पेट में रात को ही भयंकर दर्द होने लगा। औरंगजेब घबरा गया। उसको एक संत ने बताया कि वह बाबा बालकदास की शरण में जाए। उनके आशीर्वाद से जवानों का दर्द ठीक हुआ। संत से प्रभावित होकर उसने धर्मनगरी में किसी भी मंदिर को छुआ तक नहीं था और बालाजी मंदिर का निर्माण कराया था।
....
चित्रकूट का बालाजी मंदिर देश का अनूठा स्थल है। जिसको औरंगजेब ने बनाया था। यह मंदिर हिदू मुस्लिम एकता का प्रतीक है।
शक्ति सिंह, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी, चित्रकूट।