कर्मनाशा सिस्टम में सिचाई के लिए 35 दिन का पानी
धान के कटोरे में अन्नदाताओं को धान की नर्सरी डालने के लिए पानी के लिए जूझना नहीं पड़ेगा। विभाग की माने तो कर्मनाशा सिस्टम में जहां सिचाई के लिए 35 दिन का पानी शेष है वहीं चंद्रप्रभा सिस्टम में 21 दिन का पानी है। हाल के दिनों में हल्की बारिश ने भी बांधों के जलस्तर में वृद्धि की है। आने वाले दिनों में समय से बारिश हुई तो खरीफ के चालू सीजन में किसानों को पानी का संकट नहीं झेलना पड़ेगा। कृषि प्रधान जनपअ
जासं, चंदौली : धान के कटोरे में अन्नदाताओं को धान की नर्सरी डालने के लिए पानी के लिए जूझना नहीं पड़ेगा। विभाग की मानें तो कर्मनाशा सिस्टम के मूसाखांड़ बांध में जहां सिचाई के लिए 35 दिन का पानी शेष है, वहीं चंद्रप्रभा सिस्टम में 21 दिन का पानी है। हाल के दिनों में हल्की बारिश ने भी बांधों के जलस्तर में वृद्धि की है। आने वाले दिनों में समय से बारिश हुई तो खरीफ के चालू सीजन में किसानों को पानी का संकट नहीं झेलना पड़ेगा।
कृषि प्रधान जनपद में तीन वर्ष से मानसून के सीजन में पर्याप्त बारिश नहीं होने से किसानों को धान की नर्सरी डालने व रोपाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा था। टेल के किसानों को पानी नहीं मिलने से खेती प्रभावित हो रही थी लेकिन पिछले मानसून सत्र व जाड़े के दिनों में हुई बारिश से बांधों में पानी तो स्टोर है ही हाल के दिनों में भी छिटपुट बारिश से बांधों का जलस्तर बढ़ा है। देखा जाए तो पांच वर्षों में गर्मी के दिनों में चाहे मूसाखांड़ बांध हो या चंद्रप्रभा पशुओं के पीने के लिए भी पानी पर्याप्त नहीं हो पाता था। जंगली जीव भी पानी की तलाश में बस्तियों में पहुंच जाते थे लेकिन इस वर्ष पानी की उपलब्धता बनी हुई है। विभाग की मानें तो मूसाखाड़ बांध का जलस्तर 346 फीट, लतीफशाह बीयर 286.9 है, वहीं चंद्रप्रभा बांध का जलस्तर 756.8 फीट है। उपलब्ध पानी से चंद्रप्रभा सिस्टम से जुड़ी नहरें 21 दिन चलाई जा सकती हैं। धान की नर्सरी के लिए यदि कर्मनाशा व चंद्रप्रभा सिस्टम से जुड़ी नहरों को फुल गेज में चलाया जाए तो 7 दिन का पानी लगता है।
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वर्जन
किसानों को धान की नर्सरी डालने के लिए कर्मनाशा व चंद्रप्रभा बांध में पर्याप्त पानी है। आने वाले दिनों में समय से बारिश हुई तो धान की खेती के लिए पानी की कमी नहीं होगी।
सुरेशचंद्र आजाद, अधिशासी अभियंता, चंद्रप्रभा प्रखंड