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धनी फाइनेंस कंपनी की कमियों को बनाया हथियार

जागरण संवाददाता चंदौली धनी आनलाइन फाइनेंस कंपनी की ओर से लोगों को 10 हजार तक ऋण आस

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 06:41 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 06:41 PM (IST)
धनी फाइनेंस कंपनी की कमियों को बनाया हथियार
धनी फाइनेंस कंपनी की कमियों को बनाया हथियार

जागरण संवाददाता, चंदौली : धनी आनलाइन फाइनेंस कंपनी की ओर से लोगों को 10 हजार तक ऋण आसानी से दे दिया जाता है। इसके लिए आवेदकों का सत्यापन, जांच, बैकग्राउंड व अन्य जरूरी औपचारिकताएं पूरी नहीं की जाती हैं। जालसाजों ने लोगों को शिकार बनाने के लिए इन्हीं कमियों को अपना हथियार बनाया। लोगों के आधार व पैन कार्ड प्राप्त कर उनके नाम पर 10-10 हजार लोन के लिए कंपनी में आनलाइन आवेदन कर दिया।

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कंपनी ने आवेदक के खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया। जालसाज आधार के जरिए अमुक व्यक्ति के खाते की जानकारी करते रहते थे। खाते में पैसा आते ही वे यूपीआइ (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के जरिए अपने खाते में पैसा ले लेते थे। जब कंपनी आधार लिक मोबाइल पर लोन का पैसा जमा न करने का संदेश भेजती तो अमुक व्यक्ति के होश उड़ जाते। पुलिस कंपनी को उसकी कमियों के बारे में पत्र भेजकर अवगत कराएगी।

बैंकों के मानक को पूरा कर लोन लेना किसी चुनौती से कम नहीं, लेकिन आनलाइन कंपनियां आसानी से ऋण दे रही हैं। इसलिए धनी फाइनेंस कंपनी एप्लिकेशन पर लोगों का भरोसा बढ़ा है। कंपनी की ओर से आसानी से लोन देने की प्रक्रिया को ठगों ने जालसाजी का तरीका बना लिया। अपने पेशे का इस्तेमाल लोगों के पहचान पत्र जुटाने में किया। इसके जरिए आनलाइन आवेदन कर दूसरों के नाम पर लाखों रुपये लोन ले लिए।

क्राइम ब्रांच प्रभारी राजीव कुमार सिंह ने बताया कि कंपनी की लचीली पालिसी की वजह से जालसाजों को मौका मिल गया। वहीं पुलिस के सामने मामले नहीं आए। इससे कंपनी के अधिकारी-कर्मचारी भी अनभिज्ञ हैं। यदि भुक्तभोगी ने शिकायत न की होती तो जालसाजी के बारे में पता चलने में और वक्त लग सकता था। पुलिस अधीक्षक की ओर से कंपनी के प्रतिनिधियों को पत्र भेजकर अवगत कराया जाएगा ताकि जिन कमियों की वजह से जालसाज अपने मंसूबों में कामयाब हो रहे, उसे दुरूस्त किया जा सके।

पेशे को बनाया जालसाजी का हथियार

जालसाजों के गिरोह का सरगना दिलीप सिंह वाराणसी में ओला में अपनी टैक्सी चलवाता है। इसके द्वारा यात्रियों के आधार व पैन कार्ड का इस्तेमाल जालसाजी में किया गया। इसके अलावा बिहार का प्रांजल पांडेय बैंक में लोन दिलाने का काम करता है। मोबाइल की दुकान व जन सेवा केंद्रों से भी इन्हें आसानी से आधार व पैन कार्ड मिल जाते थे। दुकानदार पैसे लेकर इन्हें मुहैया करा देते थे। हालांकि जालसाजों ने पुलिस को मोबाइल की दुकानों के नाम नहीं बताए। गिरोह में इंटर से लेकर बीसीए की पढ़ाई करने वाले भी शामिल रहे। इससे आनलाइन ढंग से फ्राड कर लोगों को शिकार बनाना इनके लिए आसान था। खाते में पड़े हैं 20 लाख से अधिक ेपुलिस के अनुसार जालसाजों के बैंक खातों में जालसाजी कर कमाई गई 20 लाख रुपये से अधिक धनराशि पड़ी है। उनके खातों को ब्लाक करने के लिए संबंधित बैंकों को पत्र भेजा गया है ताकि उनके किसी परिचित के माध्यम से पैसा न निकाला जा सके। इसको लेकर पुलिस आरबीआई (रिजर्व बैंक आफ इंडिया) को भी पत्र भेजने की तैयारी में है।


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