भारत माता को स्वतंत्र कराने में शहीद हुए योद्धाओं की श्रद्धांजलि सभा आज
अंग्रेजी शासन से भारत को मुक्त कराने के लिए क्षेत्र के जंगबाजों का योगदान आज भी रोंगटे खड़े कर देता है। जिस शासन में किसी की ऊंची आवाज में बात करने की हिम्मत नही थी वहां शहीद श्रीधर राम, गणेश राम, व फेंकू राय जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने बरतानियां हुकूमत की चूलें हिला दीं
जागरण संवाददाता, चंदौली : अंग्रेजी शासन से भारत को मुक्त कराने के लिए क्षेत्र के जंगबाजों का योगदान आज भी रोंगटे खड़े कर देता है। जिस शासन में किसी की ऊंची आवाज में बात करने की हिम्मत नही थी वहां शहीद श्रीधर राम, गणेश राम, व फेंकू राय जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने बरतानियां हुकूमत की चूलें हिला दीं। 28 अगस्त 1942 के असहयोग आंदोलन करो या मरो की जंग ए लड़ाई लड़कर सैयदराजा थाने पर तिरंगा फहराते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। उस दौरान अंग्रेजों ने 920 राउंड गोलियां चलाई थी। इसमें पंडित जगत नारायण दुबे, लालधारी पाठक, बाढू राम व रामधनी ¨सह सहित 14 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
उनकी शहादत पर आज नरवन परगना के लोगों को गर्व है। वे कहते हैं इस क्षेत्र के सपूत देश की खातिर शहीद हो गए। शहीदों के परिजनों को सरकार से कुछ न कुछ सुविधाएं तो मिल रही है। ¨कतु कहीं न कहीं कसक बाकी है। क्षेत्र के लोगों को इस बात का मलाल है कि तीनों अमर शहीदों की सैयदराजा की धरती पर कहीं कोई प्रतिमा नहीं लग सकी। नौ अगस्त को क्रांति का बिगुल पूरे भारत में बज चुका था। आजादी के दीवानों ने उत्तर प्रदेश में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन करो या मरो के नारे के साथ बिगुल फूंक दिया था। धानापुर व चोलापुर में अंग्रेज आजादी के दीवानों पर गोलियां बरसा रहे थे। इधर पंडित चंद्रिका दत्त शर्मा के नेतृत्व में हजारों की संख्या में सिर पर कफन बांधे हाथों में तिरंगा लिए गांव की गली मोहल्लों में अंग्रेज भारत छोड़ो की अलख जगा रहे थे। आजादी के दीवानों ने रेल की पटरियां उखाड़ दी और रेलवे स्टेशनों पर कब्जा कर लिया। 28 अगस्त 1942 को पंडित चंद्रिका दत्त शर्मा के नेतृत्व में सैय्यदराजा स्थिति उत्तरी बाजार के पौहारी बाबा की कुटी में एकत्रित होकर आजादी के दीवाने भारत माता की जयकारे लगाते हुए थाने की ओर तिरंगा झंडा फहराने के लिए कूच किए।