जनता के दिल में थी बदलाव की बयार, दिग्गज धराशाई
ग्रामीण अंचलों में निवास कर रहे लोगों की आस रहती है कि गांवों
जागरण संवाददाता, चंदौली : ग्रामीण अंचलों में निवास कर रहे लोगों की आस रहती है कि गांवों में भी शहरों की तरह बिजली, पानी, सड़क समेत अन्य मूलभूत सुविधाएं विकसित हों। इसी उद्देश्य से ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों का भी चुनाव करती है। हालांकि बहुत कम ग्राम पंचायतें हैं, जहां जनप्रतिनिधि जनता के भरोसे पर खरा उतरे। राजनीतिक दबदबे की बदौलत कई पंचवर्षीय तक हर बार प्रधान व जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतते आए। हालांकि इस बार जनता ने उन्हें नकार दिया। लोगों के दिन में पहले से ही बदलाव की बयार बह रही थी। इसी उम्मीद में जनप्रतिनिधि चुना कि पांच साल में गांवों की तस्वीर व जनता की तकदीर बदलेगी। यदि निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम रहे तो उन्हें भी पांच साल बाद बाहर का रास्ता देखना पड़ेगा। बरहनी ब्लाक के कई ग्राम पंचायतों में तीन पंचवर्षीय से एक ही परिवार का दबदबा रहा। इस बार जनता ने यहां बदलाव करते हुए दूसरे को अपना प्रधान चुन लिया। दिग्गजों को 500 से अधिक मतों से शिकस्त झेलनी पड़ी। इसी प्रकार सकलडीहा, धानापुर व नियामताबाद में बदलाव देखने को मिला। ग्राम पंचायत ही नहीं जिले की राजनीति में अच्छा-खासा दखल रखने वालों के सगे-सबंधी प्रधानी का चुनाव का हार गए। उनके स्थान पर जनता ने दूसरा प्रतिनिधि चुना। वहीं दो-चार नहीं बल्कि 300 वोटों से शिकस्त दी। इसके साथ ही मतदाताओं से संकेत भी दिया है कि अब किसी के बहकावे अथवा पैसे पर बिकने वाले नहीं हैं। ग्राम पंचायतों में जो काम कराएगा और जनता के दुख-दर्द को अपना समझकर इसे दूर करने की कोशिश करेगा, उसी के हाथ में कमान होगी। ऐसे में नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों की पांच साल की राह आसान नहीं होगी। उन्हें भी जनता का भरोसा जीतने के लिए खुद को साबित करना होगा। वरना फिर चुनाव होंगे और जनता अपना फैसला सुनाने के लिए स्वतंत्र होगी।