गंगा का जलस्तर घटाव पर, तटवर्ती इलाकों में हालात बदतर
जागरण संवाददाता चंदौली गंगा का जलस्तर अब घटने लगा है। हालांकि तटवर्ती इलाके में हालात अ
जागरण संवाददाता, चंदौली : गंगा का जलस्तर अब घटने लगा है। हालांकि तटवर्ती इलाके में हालात अभी बदतर हैं। गांवों में पानी भरा हुआ है। कटान का खतरा भी बरकरार है। पानी जाएगा तो गांवों में कीचड़, गंदगी होगी। इसके बाद सफाई व संक्रामक बीमारियों को रोकना प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम साबित नहीं होगा। शुक्रवार को जिले में गंगा का जलस्तर 70 मीटर के करीब रहा।
पर्वतीय इलाकों में कई दिनों तक लगातार बारिश से गंगा के जलस्तर में तेजी से उफान आया था। तीन दिन पहले गंगा खतरे के बिदु को पार कर गईं। वहीं पानी गांवों में फैल गया। किसानों की फसल जलमग्न हो गई। गांवों में जलजमाव के बाद ग्रामीणों को बाढ़ चौकियों और ऊंचाई वाले स्थानों पर शरण लेनी पड़ी। जिले में चहनियां के मारूफपुर, धानापुर के हिगुतरगढ़, नियामताबाद के सहजौर समेत तमाम स्थानों पर बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं। यहां बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए भोजन-पानी के साथ ही पशुओं के लिए चारे आदि का इंतजाम किया गया है। सैकड़ों लोग इस समय बाढ़ चौकियों में शरण लिए हुए हैं। उन्हें घर की चिता सता रही है। बस एक ही टकटकी लगी है कि गांवों से बाढ़ का पानी निकले और वे अपने घरों को जाएं। हालांकि बाढ़ खत्म होने के बाद भी चुनौतियां कम नहीं होंगी। गंगा का जलस्तर जब नीचे जाता है तो उपजाऊ जमीन व किनारे स्थित घर, मकान भी इसमें समा जाते हैं। किसानों की दर्जनों एकड़ उपजाऊ जमीन गंगा कटान की भेंट चढ़ चुकी है। बाढ़ का पानी हटने के बाद गांवों में गंदगी, कीचड़ की स्थिति पैदा होगी। विषैले जानवरों व मच्छरों का प्रकोप बढ़ेगा। इससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी बना हुआ है। बहरहाल, जिला पंचायत राज विभाग को गांवों में सफाई की जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्वास्थ्य विभाग को भी किसी तरह की चुनौती से निबटने के लिए मोबाइल टीमों को अलर्ट रखने को कहा गया है।
सोनभद्र के नगवां बांध से पानी छूटने से बढ़ा खतरा
समीपवर्ती सोनभद्र जिले के नगवां बांध से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। इससे कर्मनाशा नदीं में बाढ़ का खतरा बना हुआ है। बांध का पानी मूसाखाड़ से होते हुए कर्मनाशा में पहुंचेगा। कर्मनाशा उफान पर हुई तो तटवर्ती इलाके जलमग्न हो जाएंगे। कर्मनाशा के किनारे दो दर्जन गांव बसे हुए हैं। इन गांवों में पानी घुस जाता है। वहीं सिवान भी लबालब हो जाते हैं। इससे ग्रामीणों के लिए मुश्किल पैदा हो जाती है।