दुष्टों के संहार को अवतरित होते हैं भगवान
जासं, बरहनी (चंदौली) : पृथ्वी पर जब भी अत्याचार बढ़ा है, भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित हु
जासं, बरहनी (चंदौली) : पृथ्वी पर जब भी अत्याचार बढ़ा है, भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित हुए और दुष्टों का संहार कर धर्म की रक्षा की। उन्होंने धर्म व सत्य के मार्ग पर चलने वालों की विजय का संदेश दिया। अधर्म के पथ पर चलने वालों की कभी विजय नहीं हो सकती। अंत में सत्य की विजय व असत्य की पराजय होती है।
यह बातें बसंतपुर में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमछ्वागवत कथा के छठे दिन गुरुवार को कथावाचक नरहरि दासजी ने कहीं। कहा धर्म के पथ पर चलने वाले व धर्म की रक्षा करने वाले पर हमेशा भगवान की कृपा बनी रहती है। उसका कोई बाल भी बांका नही कर सकता। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन करते हुए कहा पूतना जैसी राक्षसी भगवान को जहर देकर मारने आई थी लेकिन भगवान के मुख से स्तन स्पर्श होते ही स्वयं मर गई। उन्होंने भगवान की मटकी फोड़ माखन खाने सहित आदि लीलाओं को अछ्वुत बताया। कहा मिट्टी खाने पर फटकार सुन मां यशोदा को उन्होंने अपने मुख में ब्रह्मांड का दर्शन कराया। भगवान ने कहा भूत, भविष्य व वर्तमान सब कुछ उनके ही भीतर समाहित है। जो वे चाहेंगे, वही होगा। गोवर्धन पूजा की कथा में कहा घमंड से भरे इंद्र ने गोकुलवासियों से अपनी पूजा करवानी चाही। जब गोकुलवासियों ने इंकार कर दिया तो इंद्र क्रोधित होकर आंधी तूफान के साथ लगातार बारिश करवाने लगे। भगवान श्रीकृष्ण ने अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा सभी को छांव व ठांव दी। यह देख इंद्र का घमंड चकनाचूर हो गया। कथा के बाद महारास की प्रस्तुति की गई। इस मौके पर रामबचन तिवारी, हृदयनारायण दुबे, दामोदर दुबे, रमेश दुबे, उमेश दुबे, गिरिराज द्विवेदी, महेंद्र राय, पूजा, शांति, पद्मा, सविता, प्रीति, गुड़िया, बसंती, वंदना आदि उपस्थित थे।