हरी सब्जियों की खेती की ओर अन्नदाताओं का रुझान
धान के कटोरे में हरी सब्जियों की खेती की ओर किसानों का रुझान तेजी से बढ़ा है। कम लागत में बेहतर उत्पादन कर किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं। चालू सीजन में मुजफ्फरपुर गांव निवासी प्रगतिशील किसान चंदन साव ने चार हेक्टेयर भूमि में फूल गोभी की खेती की है। बताया कि धान व गेहूं की पैदावार करने के बजाय सब्जियों की खेती करना लाभप्रद है। कम लागत में बेहतर उत्पादन कर किसान वर्ष भर में चौगुना
जासं, चकिया (चंदौली) : धान के कटोरे में हरी सब्जियों की खेती की ओर किसानों का रुझान तेजी से बढ़ा है। कम लागत में बेहतर उत्पादन कर किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं। चालू सीजन में मुजफ्फरपुर गांव निवासी प्रगतिशील किसान चंदन साव ने चार हेक्टेयर भूमि में फूल गोभी की खेती की है।
बताया कि धान व गेहूं की पैदावार करने के बजाय सब्जियों की खेती करना लाभप्रद है। कम लागत में बेहतर उत्पादन कर किसान वर्ष भर में चौगुना आय अर्जित कर सकते हैं। कहा फूल गोभी की खेती हर प्रकार की भूमि में की जा सकती है। हालांकि जल निकास वाली दोमट या बलुई दोमट भूमि जिसमें जीवांश की प्रचुर मात्रा उपलब्ध हो, काफी उपयुक्त है। इसकी खेती के लिए अच्छी तरह से खेत को तैयार करना चाहिए। इसके लिए खेत को तीन से चार बार जोताई करके पाटा मारकर समतल कर लेना चाहिए। गोबर की खाद या कंपोस्ट रोपाई के तीन चार सप्ताह पूर्व अच्छी तरह मिला देना चाहिए। इसके अतिरिक्त 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस व 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए। बीजदर, बोआई की विधि
फूल गोभी के बीज को पहले पौधशाला में बोआई करके पौधा तैयार करते हैं । एक हेक्टेयर में प्रति रोपण के लिए लगभग 75-100 वर्ग मीटर में पौध उगाना पर्याप्त होता है। पौधों की वृद्धि के लिए मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में नमी का होना अत्यंत आवश्यक है। 10-15 दिनों के अंतराल पर आवश्यकतानुसार सिचाई करते रहना चाहिए। गोभी में फूल तैयार होने तक दो-तीन निराई-गोड़ाई कर खरपतवार पर नियंत्रण करना जरूरी होता है। रोग से बचाव
फूल गोभी में गलन रोग, काला विगलन, पर्णचित्ती, पत्ती का धब्बा रोग व मृदु रोमिल आसिता रोग लगते हैं। यह फफूंदी के कारण होता है। रोग पौधा से फूल बनने तक कभी भी लग सकता है। पत्तियों के ऊपरी सतह पर भूरे धब्बे बनते हैं। बचाव के लिए रोपाई के समय कीटनाशक का छिड़काव करें।