पतित पावनी में स्नानार्थियों ने लगाई डुबकी, किया दान पुण्य
प्रबोधिनी एकादशी पर सोमवार को बलुआ घाट पर स्नानार्थियों का हुजूम उमड़ पड़ा। बुजुर्ग, महिला, युवा, बच्चों ने पतित पावनी में डुबकी लगाई और गरीबों में अन्न, वस्त्र का दान कर पुण्य कमाया। घाट पर दोपहर तक लोगों का आना जाना लगा रहा, कस्बे से घाट तक मेले जैसा ²श्य रहा।
जासं, चहनियां/टांडाकला (चंदौली) : प्रबोधिनी एकादशी पर सोमवार को बलुआ घाट पर स्नानार्थियों का हुजूम उमड़ पड़ा। बुजुर्ग, महिला, युवा, बच्चों ने पतित पावनी में डुबकी लगाई और गरीबों में अन्न, वस्त्र का दान कर पुण्य कमाया। घाट पर दोपहर तक लोगों का आना जाना लगा रहा, कस्बे से घाट तक मेले जैसा ²श्य रहा।
पश्चिम वाहिनी गंगा होने के कारण स्थानीय घाट पर स्नान का विशेष महत्व है। यहां एक दिन पहले से ही स्नानार्थियों का जमावड़ा हो जाता है। लोग ट्रैक्टरों, आटो व अन्य सवारी गाड़ियों में भरकर पहुंच जाते हैं। तड़के तीन बजे से ही स्नान का सिलसिला शुरू हो गया। इसके मद्देनजर सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम किए गए। तड़के स्नानध्यान का सिलसिला शुरू हुआ और दोपहर तक चला। स्नानार्थियों की भीड़ को देखते हुए जगह-जगह वाहन स्टैंड, खोया पाया सेंटर, चिकित्सा शिविर व गंगा में स्टीमर व गोताखोर भी लगाए गए थे। टांडाकला, तिरगावां, हसनपुर, नादी, निधौरा, सैफपुर, कांवर, महरौड़ा सहित गंगा तट पर सोमवार तड़के से ही स्नानार्थियों का तांता लगा रहा।
शुरू हो गए मांगलिक कार्य
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठयनी एकादशी भी कहते हैं। आज के दिन से सारे मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। वेद पुराणों के अनुसार हरिशयनी एकादशी के चार माह बाद देव उठयनी एकादशी पड़ती है। इस बीच किसी प्रकार के मांगलिक कार्य नही होते हैं। देव उठयनी एकादशी पर मॉ तुलसी विवाह के साथ ही मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं।