भ्रष्टाचार का जरिया बनकर रह गए अनुदानित शौचालय
अनुदानित शौचालयों ने कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और प्रतिनिधियों की मौज करवाई है तो कई ग्राम प्रधानों और सचिवों को थाने और कचहरी के चक्कर भी कटवाए। जिले को खुले में शौच मुक्त बनाने को ग्रामीण क्षेत्रों में तीन लाख से अधिक शौचालय बनवाए गए। पंचायती राज विभाग कार्यालय के रजिस्टर में सभी दुरुस्त हैं और इस्तेमाल भी हो रहे। लेकिन जमीनी हकीकत दावों से जुदा है। कई लाभार्थी शौचालय का धन डकार गए हैं तो कुछ आधा अधूरा निर्माण करवाकर धन का बंदरबाट कर चुके हैं।
जागरण संवाददाता, चंदौली : अनुदानित शौचालयों ने कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और प्रतिनिधियों की मौज करवाई है तो कई ग्राम प्रधानों और सचिवों को थाने और कचहरी के चक्कर भी कटवाए। जिले को खुले में शौचमुक्त बनाने को ग्रामीण क्षेत्रों में तीन लाख से अधिक शौचालय बनवाए गए। पंचायती राज विभाग कार्यालय के रजिस्टर में सभी दुरुस्त हैं और इस्तेमाल भी हो रहे लेकिन जमीनी हकीकत दावों से जुदा है। कई लाभार्थी शौचालय का धन डकार गए हैं तो कुछ आधा अधूरा निर्माण करवाकर धन की बंदरबाट कर चुके हैं। शौचालयों में उपले व अन्य सामान रखे जाने की तस्वीरें भी सामने आ चुकी हैं। कुल मिलाकर पूर्ण शौचालयों का भी कायदे से उपयोग नहीं किया जा रहा। अभी भी लोग खुले में शौच कर रहे हैं। भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी शौचालय निर्माण योजना
मुगलसराय क्षेत्र के ग्राम पंचायत अधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने विगत दिनों कोतवाली में शौचालय निर्माण योजना के 15 लाभार्थियों के खिलाफ तहरीर देते हुए आरोप लगाया कि स्वच्छ भारत मिशन योजना अंतर्गत शौचालय बनवाने को इनके खाते में धन भेजा गया, लेकिन किसी ने निर्माण कार्य पूर्ण नहीं करवाया है। कई दफा मौखिक चेतावनी और नोटिस के बाद भी काम नहीं करवा रहे। सेक्रेटरी ने सभी के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करने की मांग की। दरअसल आलाधिकारियों की सख्ती बढ़ने और कार्रवाई की तलवार लटकने के बाद साहब हरकत में आए। जिले में ऐसी और भी ग्राम पंचायतें हैं जहां लाभार्थी शौचालय निर्माण का धन हजम कर गए हैं। कई ग्राम प्रधानों और सचिवों पर निर्माण में धांधली के आरोप भी लगे हैं। नहीं हो रहा शौचालयों का उपयोग
ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में सड़क किनारे गंदगी स्वच्छ भारत मिशन को मुंह चिढ़ाती नजर आ जाती है। लाभार्थियों ने शौचालय तो बनवा लिए हैं, लेकिन उपयोग नहीं कर रहे। शौचालय शो पीस बने हुए हैं। लोगों को शौचालय के उपयोग को लेकर जागरूक करने को गांवों में निगरानी समितियां गठित की गई हैं, लेकिन उनका प्रयास बेअसर साबित हो रहा। जनपद स्तर पर मानीटरिग में लापरवाही भी इसकी बड़ी वजह है। ग्रामीण क्षेत्रों में तीन लाख एक हजार 323 शौचालय बनवाए गए हैं। ''शौचालय उपयोग को लेकर लोगों को जागरूक करने को निगरानी समितियों का गठन किया गया है। लगातार मानीटरिग भी की जा रही है। लोग उपयोग को लेकर जागरूक भी हुए हैं।''
-ब्रह्मचारी दुबे, डीपीआरओ।