दो सौ वेंडरों के आगे जीविका का संकट..
कोरोना संक्रमण ने हर किसी की कमर तोड़ दी है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर कभी दूसरों को खाना उपलब्ध कराने में दिन रात एक कर देने वाले लगभग दो सौ वेंडरों के सामने आज निवाले के लाले पड़ गए हैं। कोरोना ने उनकी रोजी छीन ली तो उन्हें रोटी नहीं मिल पा रही है। जंक्शन पर खान पान स्टाल बंद होने से वेंडर काम की तलाश में दर दर भटक रहे हैं। यात्रियों की संख्या कम होने के कारण खरीद बिक्री पर भी असर पड़ रहा है। अब वेंडर परिजनों के जीविकोपार्जन को लेकर हताश होने लगे हैं। परेशानियों से घिरे वेंडरों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।
जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : कोरोना संक्रमण ने हर किसी की कमर तोड़ दी है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर कभी दूसरों को खाना उपलब्ध कराने में दिन रात एक कर देने वाले लगभग दो सौ वेंडरों के सामने आज निवाले के लाले पड़ गए हैं। कोरोना ने उनकी रोजी छीन ली तो उन्हें रोटी नहीं मिल पा रही है। जंक्शन पर खान पान स्टाल बंद होने से वेंडर काम की तलाश में दर दर भटक रहे हैं। यात्रियों की संख्या कम होने के कारण खरीद बिक्री पर भी असर पड़ रहा है। अब वेंडर परिजनों के जीविकोपार्जन को लेकर हताश होने लगे हैं। परेशानियों से घिरे वेंडरों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।
कोरोना संक्रमण से पहले की बात की जाए तो जंक्शन से रोजाना 250 से 300 यात्री ट्रेनें गुजरती थीं। ट्रेनों के जंक्शन पर ठहरते ही प्लेटफार्मों पर मौजूद खान पान के स्टालों पर यात्रियों की भीड़ लग जाती थी। वेंडर भी यात्रियों को कोच में ही आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करा देते थे। इस कार्य में पूरी तरह से मज चुके वेंडरों की कमाई भी अच्छी खासी हो जाती थी। चार महीने पहले कोरोना का काला साया पड़ा तो ट्रेन सेवाएं स्थगित करनी पड़ी। जंक्शन पर मौजूद सभी खान पान स्टाल को बंद करा दिया गया। वेंडर काम की तलाश में भटक रहे हैं।
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चल रहीं 12 ट्रेनें, इक्का दुक्का खुले हैं स्टाल
कुछ महीने बाद स्थिति में सुधार हुआ तो 12 ट्रेनों का संचालन शुरू करा दिया गया और जंक्शन पर इक्का-दुक्का स्टालों को खोलने की अनुमति दे दी गई। लेकिन, जानलेवा बीमारी कोरोना की वजह से यात्री बाहर की चीजों को खरीदने से बचने लगे हैं। ऐसे में खरीद बिक्री पर असर पड़ रहा है। विदित हो कि जंक्शन पर खान पान के 25 स्टाल व तीन फूड प्लाजा हैं। यहां से लगभग दो सौ वेंडरों की रोजी रोटी चलती थी। हालांकि वर्तमान में सरकार ने लाइसेंस फीस में 16 फीसदी रियायत दी है। लेकिन, यह नाकाफी साबित हो रहा है।