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बॉर्डर पर 'एस गैंग' का बोलबाला

जिले में पशु तस्करी के कई गैंग सक्रिय हैं। नक्सल इलाके में'एस गैंग'का बोलबाला है। दरअसल, सरगना यूपी-बिहार प्रांत की सीमा से व्यापक पैमाने पर तस्करी का धंधा करवाता है। इकहरा बदन वाला दुबला-पतला सरगना तस्करी के लिए संगीन वारदात को अंजाम दे चुका है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Jan 2019 06:44 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jan 2019 11:15 PM (IST)
बॉर्डर पर 'एस गैंग' का बोलबाला
बॉर्डर पर 'एस गैंग' का बोलबाला

जासं, चकिया (चंदौली) : जिले में पशु तस्करी के कई गैंग सक्रिय हैं। नक्सल इलाके में 'एस गैंग' का बोलबाला है। दरअसल, सरगना यूपी-बिहार प्रांत की सीमा से व्यापक पैमाने पर तस्करी का धंधा करवाता है। इकहरा बदन वाला दुबला-पतला सरगना तस्करी के लिए संगीन वारदात को अंजाम दे चुका है। बॉर्डर से चंद कदम की दूरी पर ठिकाना बनाए इस गैंग तक आखिर पुलिस किन कारणों से नहीं पहुंच पा रही। इलाकाई पुलिस से दोस्ताना रिश्ते को भी इन्कार नहीं किया जा सकता। बॉर्डर पर गैंग के सदस्य शाम ढलने के साथ सक्रिय हो जाते हैं। यहां से रोजाना गोवध की आधा दर्जन भारी तो दर्जनों छोटी गाड़ियां चकिया व नौगढ़ सर्किल क्षेत्र से बिहार प्रांत को जाती हैं। तस्करी के पूरे सिस्टम का कंट्रोल सरगना के हाथ में होता। मसलन वाहन, पशु, चालक, हेल्पर से लगायत पुलिस डिल तक। अंतरजनपदीय सीमा पर 'आर गैंग' सक्रिय

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मीरजापुर-चंदौली सीमा पर इसी का सहयोगी 'आर गैंग' की जिम्मेदारी तस्करी की गाड़ियों को पास कराने की है। वैसे तो इस गैंग का सरदार फिलहाल जेल में है। लेकिन, उसके शागिर्द अंतरजनपदीय सीमा पर मोर्चा संभाले हैं। इलाकाई पुलिस भी इन गिरोहों के आगे मानों नतमस्तक है। हो भी क्यों नहीं, तस्करों ने मीरजापुर जिले के अहरौरा में जांच कर रही टीम को कुचल दिया था। हादसे में कांस्टेबल की मौत हो गई थी। शहाबगंज के लालपुर में पुलिस जीप को टक्कर मार दी थी जिससे तत्कालीन एसओ विजय कुमार चौरसिया समेत हमराह कांस्टेबल गंभीर रूप से घायल हो गए थे। चालक को दी जाती ट्रे¨नग

तस्करी के लिए चालकों को ट्रे¨नग दी जाती है। 'एस गैंग' सरगना खुद अनुभवी चालक रहा। उसने परिवार के कुछ लोगों को भी ड्राइ¨वग सीखा दी। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो मालदह में हादसा को कारित करने वाली डीसीएम की रफ्तार 100 के पार रही। गड्ढे में फंसी न होती तो तस्कर वाहन को लेकर भाग निकलते। थानों पर लंबे समय से जमे कई एसआइ

तस्करी के मामले में पुलिस की छवि धूमिल करने के आरोप में तीन इंस्पेक्टर समेत आधा दर्जन पुलिस वालों पर गाज भले ही गिरी है लेकिन बॉर्डर के थानों में कई एसआइ व पुलिसकर्मी लंबे अरसे से जमे हैं। नौगढ़ थाने के एक चौकी पर तैनात एसआइ बॉर्डर के सभी थानों पर रह चुके हैं। प्रभारी के रूप में रहते हुए उस पर पकड़े मवेशियों को तस्करों को बेच दिए जाने के गंभीर आरोप भी लगे हैं। शहाबगंज, चकिया व नौगढ़ थाने में ऐसे ही कई उप निरीक्षक हैं। तस्करी में प्रभारी के कृपा पात्र कारखासों की भूमिका संदिग्ध रहती। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस की गतिविधियों की जानकारी वह तस्करों को देते हैं। सफेदपोशों से उनका मेलजोल होने के कारण कार्रवाई नहीं हो पाती।


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