तीन सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गंगा में घटाव
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जागरण संवाददाता, चंदौली : धान के कटोरे में गंगा का उफान थम गया है। गंगा के जलस्तर में तीन सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से कमी आ रही है। गुरुवार को जलस्तर 70.36 मीटर दर्ज किया गया। हालांकि निचले इलाके में मकान अब भी पानी से घिरे हैं। राहत शिविरों से घर पहुंचने के बाद बाढ़ से बर्बाद गृहस्थी को दोबारा संवारने में जुट गए हैं। बाढ़ के चलते गांवों में गंदगी, कीचड़ का अंबार लगा हुआ है। इसके चलते संक्रामक बीमारियों के फैलने के खतरा बना हुआ है। जिला प्रशासन के लिए बाढ़ के बाद की स्थितियों से निबटने की चुनौती होगी। बाढ़ के दौरान प्रशासनिक इंतजाम नाकाफी साबित हुए। वहीं अभी तक गांवों में स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची। इसको लेकर लोगों में नाराजगी व्याप्त है। बाढ़ चौकियां हैं वीरान
जिला प्रशासन की ओर से गंगा किनारे गांवों में बाढ़ चौकियों की स्थापना तो कर दी गई है, लेकिन यहां पूर्णकालिक तौर पर किसी अधिकारी अथवा कर्मचारी को नियुक्त नहीं किया गया है। धानापुर क्षेत्र के महुंजी, वीरासराय, हिनौता, जीगिना, गुरैनी स्थित बाढ़ चौकियों की जिम्मेदारी संभाल रहे राजस्व व ग्राम्य विकास विभाग के कर्मचारी अक्सर गायब रहते हैं। सबकुछ जानते हुए भी जिले के आला अधिकारी मौन साधे हुए हैं। ऐसे में लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही। कटान से अन्नदाता सशंकित
बाढ़ की आपदा से निजात पाने के बाद ग्रामीणों को अब कटान की त्रासदी सताने लगी है। गंगा का जलधारा में आस-पास की जमीन समाहित होने का क्रम धीरे-धीरे शुरू हो चुका है। चहनियां क्षेत्र के चकरा, तिरगावा, मुकुंदपुर, हसनपुर समेत गंगा किनारे बसे गांवों में कटान तेज हो गई है। किसानों की फसल गंगा की धारा में विलीन हो रही है। गत वर्षों में किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल गंगा की धारा में समाहित हो चुकी है। किसान इसको लेकर जिला प्रशासन के साथ ही जनप्रतिनिधियों से भी गुहार लगा चुके हैं। लेकिन इस समस्या से निजात दिलाने को कोई ठोस पहल नहीं की जा रही।