बारिश ने कर दिया प्रकृति का श्रृंगार
सूरज के ताप से व्याकुल वनांचल की वादियों ने एक बार फिर श्रृंगार कर लिया है। पहाड़ों से गिरते झरने जहां मनोरम ²श्य उत्पन्न कर रहे हैं, वहीं झमाझम बारिश ने बांधों से निकली नहरों को भी पानी से लबालब कर दिया है। चहुंओर हरी भरी धरती मानों बादलों से मिलने को आतुर दिख रही है। गुरुवार की देर शाम
जागरण संवाददाता, चंदौली : सूरज के ताप से व्याकुल वनांचल की वादियों ने एक बार फिर श्रृंगार कर लिया है। पहाड़ों से गिरते झरने जहां मनोरम ²श्य उत्पन्न कर रहे हैं, वहीं झमाझम बारिश ने बांधों से निकली नहरों को भी पानी से लबालब कर दिया है। चहुंओर हरी भरी धरती मानों बादलों से मिलने को आतुर दिख रही है। गुरुवार की देर शाम से आरंभ हुई बारिश से खरीफ की प्रमुख फसल धान को भी संजीवनी मिल गई है।
भादों के महीने में एक पखवारे से चिलचिलाती धूप ने आमजन के साथ पशु पक्षियों को भी बेहाल कर दिया था। सूरज की किरणों के धरती पर आते ही लोग पसीने से तरबतर हो जा रहे थे। बारिश थमने से जलाशयों का जल स्तर तो घट ही रहा था, धान की फसल भी मुरझाने लगी थी। अन्नदाता प्रकृति की बेरुखी से बेचैन हो गए थे। इतना ही नहीं वनांचल की वादियों की रौनक भी काफूर होने लगी थी लेकिन गुरुवार की देर शाम आसमान में छाए बादलों ने तन मन को आह्लादित कर दिया। उमड़ घुमड़ कर बरसे मेघों ने धरती की प्यास बुझा दी। बारिश भी ऐसी कि नहरों व माइनरों के छलके पानी से लबालब हो गए और पहाड़ों से गिरते झरनों ने अपनी बाहें फैला दीं। हर तरफ प्रकृति का सौंदर्य देख लोग निहाल हो गए।