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खानाबदोश की जिदगी जी रहे धरकार जाति के लोग

रहने को घर नहीं सारा जहां हमारा..। जी हां समाज का एक ऐसा वर्ग जिसके पास एक इंच जमीन तो क्या रहने को घर तक नहीं है।इस 21 वीं सदी में भी आदिम युग की तरह जीविकोपार्जन करने को विवश है। तीनों ऋतुओं में घास फूस की मड़ई व प्लास्टिक का तिरपाल लगाकर खानाबदोश की तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं। बात कर रहे हैं धरकार समाज के लोगों की।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 08:41 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 06:06 AM (IST)
खानाबदोश की जिदगी जी रहे धरकार जाति के लोग
खानाबदोश की जिदगी जी रहे धरकार जाति के लोग

जासं, चकिया (चंदौली) : रहने को घर नहीं सारा जहां हमारा..। जी हां समाज का एक ऐसा वर्ग जिसके पास एक इंच जमीन तो दूर रहने को घर तक नहीं है। 21 वीं सदी में भी आदिम युग में जीविकोपार्जन करने को विवश हैं। तीनों ऋतुओं में घास फूस की मड़ई व प्लास्टिक का तिरपाल लगाकर खानाबदोश की तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं। बात कर रहे हैं धरकार समाज के लोगों की।

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नगर के वार्ड नंबर छह ठाकुरबाड़ी मार्ग किनारे बसे इस जाति को शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। भूमिहीन होने के चलते आवास, शौचालय का लाभ नहीं मिल सका है। अंत्योदय राशन कार्ड, वृद्धा विधवा पेंशन, बिजली आदि मूलभूत सुविधाओं से अछूते हैं। हां बस इन्हें भारतीय नागरिक होने का अधिकार प्राप्त है। इनकी पूछ सिर्फ लोकसभा, विधानसभा और नगर पंचायत के चुनाव के दौरान होती है। बस्ती के गनेश, केवली, छबीले समेत कई लोग वृद्धा पेंशन के हकदार हैं लेकिन किसी को भी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। बांस से बनी दऊरी, पंखा, सूप, ओड़चा आदि बनाकर गांव गांव में घूम घूम कर बेचना इनकी दिनचर्या में शामिल है। बस्ती के राजेश, हरी प्रसाद , मुन्ना धरकार ने बताया कि कोरोना ने तो हम लोग को बौना बना दिया। गांव में घूम घूम कर सूप, बेना बेचना बंद हो गया। विवाह नहीं होने से भुखमरी की नौबत आ गई है। बरसात से बांस के बने सामान बचाने को कौन कहे चूल्हा जलना मुश्किल हो गया है। बच्चे लालू, गीता सोनू , पनारु शिक्षा से कोसों दूर हैं। कुरेदने पर बच्चों ने कहा कि कभी स्कूल नहीं जाते हैं। जबकि महज सौ मीटर दूरी पर प्राथमिक विद्यालय है।

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वर्जन

धरकार जाति के लोगों के लिए पीडीडीयू नगर के गोधना में कांशी राम आवास योजना के तहत आवास के लिए आवेदन करवाया गया पर समाज के लोगों ने इंकार कर दिया। भूमि नहीं होने के कारण पीएम आवास व शौचालय का लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रयास किया जा रहा कि नगर पंचायत में जमीन उपलब्ध कराकर इनका ठौर ठिकाना बेहतर किया जाय।

अशोक बागी, चेयरमैन


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