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बेजुबानों का निवाला बनेगी पराली, सचिवों को मिली जिम्मेदारी

कवायद --- - आश्रय स्थलों में पहुंचेगा चारा अन्नदाताओं को मिलेगी राहत - नई पहल से पर्यावर

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 08:06 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 08:06 PM (IST)
बेजुबानों का निवाला बनेगी पराली, सचिवों को मिली जिम्मेदारी
बेजुबानों का निवाला बनेगी पराली, सचिवों को मिली जिम्मेदारी

कवायद ---

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- आश्रय स्थलों में पहुंचेगा चारा , अन्नदाताओं को मिलेगी राहत

- नई पहल से पर्यावरण प्रदूषण का भी कम होगा खतरा

फोटो : 09

जागरण संवाददाता, चंदौली : खेतों की पराली गोवंश आश्रय स्थलों में बेजुबानों का चारा बनेगी। ग्राम पंचायत सचिवों को सफाईकर्मियों की मदद से फसल अवशेष इकट्ठा कराकर आश्रय स्थलों में पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। किसानों को कंबाइन हार्वेस्टर से फसल की कटाई के बाद सचिवों को सूचना देनी होगी। इससे किसानों को काफी राहत मिलेगी। वहीं पर्यावरण प्रदूषण का खतरा भी कम रहेगा। संक्रमण काल में खेतों में पराली जलाने पर प्रतिबंध है। फसल अवशेष जलाने पर किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। ऐसे में अन्नदाताओं के समक्ष विकट समस्या पैदा हो गई है। धान की फसल की कटाई के बाद जल्द रबी फसलों की बोआई के लिए मजबूरन फसल अवशेष जला रहे हैं। लेकिन सेटेलाइट के कैमरे में इसकी तस्वीरें कैद हो जा रही हैं। इसको लेकर उन्हें जुर्माना भरना पड़ रहा है। वहीं कृषि विभाग के कर्मियों पर भी कार्रवाई हो रही है। जिला प्रशासन ने फसल अवशेष को आश्रय स्थलों में भेजने की योजना बनाई है। इस पर अमल भी शुरू हो गया है। कई गांवों में किसानों के खेतों की पराली इकट्ठा कर आश्रय स्थलों में पहुंचाया जा रहा है। विभाग ने ग्राम पंचायत सचिवों को पराली इकट्ठा कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। किसानों की सूचना के बाद सफाई कर्मियों की मदद से खेतों से फसल अवशेष इकट्ठा कराकर आश्रय स्थलों में भेजवा रहे हैं। ------------------------------------ आश्रय स्थलों में नहीं होगी चारा की किल्लत फसल अवशेष पहुंचने से आश्रय स्थलों में चारा की कमी नहीं होगी। सर्दियों के मौसम में कई दिनों तक पशुओं को आहार मिल जाएगा। इससे किसानों की मुश्किलें भी कम हो जाएंगी। फसल अवशेष हटने के बाद किसान आसानी से खेत की जोताई कर रबी फसलों की बोआई कर सकेंगे। हालांकि प्रक्रिया में कर्मियों की कमी आ रही है। लोगों की मानें तो यदि फसल अवशेष इकट्ठा करने में मनरेगा मजदूरों की मदद ली जाए, तो काम आसान हो जाएगा। -------- 'किसानों के खेतों की पराली इकट्ठाकर आश्रय स्थलों में पहुंचाई जा रही है। ग्राम पंचायत सचिवों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। किसान फसल अवशेष जलाने की बजाए सूचना देकर इकट्ठा करा दें। आदेश की अवहेलना करने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई तय है। राजीव कुमार भारती, कृषि उपनिदेशक


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