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आरएसएस स्कूलों में संवर रही मुस्लिम छात्रों की किस्मत

आरएसएस संचालित सरस्वती शिशु मंदिर में गंगा-जमुनी तहजीब की नजीर देखने को मिल रही है। तमाम धारणाओं को दरकिनार कर मुस्लिम छात्र आरएसएस स्कूलों में दाखिला ले रहे। उनके भीतर भारत की आध्यात्मिक और पौराणिक सभ्यता व संस्कृति को जानने और समझने की ललक दिख रही। शिक्षा प्राप्त करने के साथ ही भोजन मंत्र व संस्कृति के श्लोक रट रहे हैं। खेलकूद समेत व गतिविधियों में भी उनकी सहभागिता बढ़ी है। जिले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक सं

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 08:53 PM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 12:42 AM (IST)
आरएसएस स्कूलों में संवर रही मुस्लिम छात्रों की किस्मत
आरएसएस स्कूलों में संवर रही मुस्लिम छात्रों की किस्मत

जागरण संवाददाता, चंदौली : आरएसएस संचालित सरस्वती शिशु मंदिर में गंगा-जमुनी तहजीब की नजीर देखने को मिल रही है। तमाम धारणाओं को दरकिनार कर मुस्लिम छात्र आरएसएस स्कूलों में दाखिला ले रहे। उनके भीतर भारत की आध्यात्मिक और पौराणिक सभ्यता व संस्कृति को जानने और समझने की ललक दिख रही। शिक्षा प्राप्त करने के साथ ही भोजन मंत्र व संस्कृति के श्लोक रट रहे हैं। खेलकूद समेत व गतिविधियों में भी उनकी सहभागिता बढ़ी है।

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जिले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से संचालित 11 सरस्वती शिशु मंदिर हैं। ग्रामीण इलाके में सात विद्यालय हैं। जबकि पीडीडीयू नगर, चंदौली, सैयदराजा और चकिया में एक-एक विद्यालय हैं। विद्यालयों में करीब चार हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इसमें मुस्लिम छात्र-छात्राओं की तादाद 250 के आसपास है। अन्य विद्यार्थियों के साथ मुस्लिम छात्र-छात्राएं विद्यालयों में नियमित संस्कृत के श्लोक रट रहे हैं। वहीं प्रदेश स्तर पर होने वाली खेलकूद प्रतियोगिताओं में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। जन शिक्षा समिति के पदाधिकारियों की मानें, तो गत तीन-चार वर्षों में मुस्लिम छात्र-छात्राओं का रूझान बढ़ा है। आरएसएस की ओर से संचालित विद्यालय होने के नाते मुस्लिम व ईसाई छात्र-छात्राएं दाखिला कराने से परहेज करते थे, लेकिन अब सोच बदली है। जिले में एक मुस्लिम पुरूष व एक महिला आचार्य की नियुक्ति की गई है। सरकारी नौकरी ठुकराकर गरीब बच्चों की संवार रहे किस्मत

नूर-ए-हसन सरकारी नौकरी ठुकराकर जनपद के रामगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संचालित सरस्वती शिशु मंदिर में अध्यापन का कार्य कर रहे हैं। 15 वर्ष पूर्व कुशीनगर में प्राथमिक विद्यालय में नौकरी लगी थी, लेकिन ज्वाइन ही नहीं किया। उनका मानना है कि शिक्षा पेशा नहीं, बल्कि धर्म है। शिक्षा पर गरीब बच्चों का पूरा हक है। इसी उद्देश्य से परिषदीय स्कूल में सरकारी शिक्षक की नौकरी के बजाए सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ाने की प्रेरणा मिली। ऐसे शिक्षकों की प्रेरणा से ही सरस्वती शिशु मंदिरों में मुस्लिम छात्र-छात्राओं की तादाद बढ़ रही है। ''जिले में 11 सरस्वती शिशु मंदिर हैं। इसमें करीब चार हजार छात्र-छात्राओं में 250 मुस्लिम हैं। मुस्लिम छात्रों की तादाद दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। वहीं मुस्लिम आचार्य की भी भर्ती की जा रही है।''

-राजबहादुर दीक्षित, प्रादेशिक निरीक्षक, जन शिक्षा समिति।


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