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खरीफ सत्र में 56 हजार टन से अधिक लगेगी खाद

जागरण संवाददाता चंदौली कृषि प्रधान जनपद में खरीफ सत्र में 56501 टन खाद की खपत का लक्ष्य निर्धा

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Jul 2021 03:57 PM (IST)Updated: Thu, 01 Jul 2021 03:57 PM (IST)
खरीफ सत्र में 56 हजार टन से अधिक लगेगी खाद
खरीफ सत्र में 56 हजार टन से अधिक लगेगी खाद

जागरण संवाददाता, चंदौली : कृषि प्रधान जनपद में खरीफ सत्र में 56,501 टन खाद की खपत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एक सप्ताह के अंदर धान की रोपाई की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में कृषि व सहकारिता विभाग खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने में जुट गया है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार अब तक लगभग 25 हजार टन यूरिया व डीएपी की रैक जिले में पहुंच चुकी है। पीसीएफ के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि रैक उतरने के बाद निर्धारित समय के अंदर खाद की खेप सहकारी समितियों तक पहुंचाई जाए। अधिकारी जल्द ही अवशेष खाद जिले में पहुंचने की उम्मीद जता रहे हैं।

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जिले में 32 हजार टन यूरिया, 16 हजार डीएपी, 2 हजार एमओपी, 4 हजार एनपीके, 2500 सिगल सुपर फास्फेट की खपत का लक्ष्य है। वर्तमान में 25 हजार टन खाद उपलब्ध है। किसान धान की रोपाई से पहले और रोपाई के एक सप्ताह बाद खेत में खाद डालते हैं। ऐसे में जुलाई में धान की रोपाई शुरू होगी तो एकाएक खाद की डिमांड बढ़ेगी। सहायक निबंधक सहकारिता सोमी सिंह ने कहा 25 हजार टन खाद की उपलब्धता है। पहले ही खपत के अनुरूप डिमांड बनाकर भेज दी गई थी। इससे खाद की रैक जिले में पहुंचने लगी है। इसको समितियों पर पहुंचाया जा रहा है। सचिवों को खाद को सुरक्षित स्टोर में रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि खराब न होने पाए।

धान की फसल के लिए तीन बार जरूरत

जिला कृषि अधिकारी के अनुसार धान की फसल में सामान्य तौर पर दो से तीन बार खाद की जरूरत पड़ती है। रोपाई से पहले अथवा चंद दिनों के बाद यूरिया डाली जाती है। वहीं एक बार बीच में और एक बार जब फसल में रेड़ा लगता है, तब किसान खाद डालते हैं। हालांकि रासायनिक खाद का अधिक इस्तेमाल मिट्टी और फसल के लिए घातक है। इसलिए किसान जैविक विधि से खेती करें तो कम लागत में मुनाफा अधिक होगा। सरेसर रैक प्वाइंट से समितियों पर पहुंचती है खाद

जिले में खाद के लिए सरेसर में खाद रैक प्वाइंट बनाया गया है। मालगाड़ी से खाद रैक प्वाइंट तक पहुंचती है। इसके बाद ट्रकों के जरिए जिले की 83 सहकारी समितियों पर पहुंचाई जाती है। यहां से किसानों को खाद का वितरण किया जाता है।


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