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टूटे परिवार में हर जगह नजर आता है दुख

संगठित परिवार में ही शांति बनी रहती है और हर कार्य सामूहिक परिवार के सफल होते हैं। टूटे हुए परिवार में हर जगह दुख ही दुख नजर आता है। जिस प्रकार एक लकड़ी को हर कोई तोड़ सकता है लेकिन कई लकड़ी को एक साथ कोई नहीं तोड़ सकता। भगवान हमारे हृदय में विराजमान हैं। हम अपने आप को पहचाने और मोह माया के जाल से दूर रहकर संगठित होकर अपने जीवन का निर्वहन करें।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 09:48 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 09:48 PM (IST)
टूटे परिवार में हर जगह नजर आता है दुख
टूटे परिवार में हर जगह नजर आता है दुख

जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली): संगठित परिवार में ही शांति बसती है। सामूहिक परिवार के सभी कार्य सफल होते हैं। टूटे परिवार में हर जगह दुख ही दुख नजर आता है। जिस प्रकार एक लकड़ी को हर कोई तोड़ सकता है लेकिन कई लकड़ी को एक साथ तोड़ना मुश्किल हो जाता है। भगवान हमारे हृदय में विराजमान हैं। हम अपने आप को पहचाने और मोह माया के जाल से दूर संगठित होकर अपने जीवन का निर्वहन करें।

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पटेल नगर स्थित विकास नगर में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय कथा के पांचवें दिन रविवार को कथावाचक पं. सुरेंद्रनाथ तिवारी ने कहीं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रत्येक रूप मनोहारी है। प्रफुल्ल कुमार, प्रबल कुमार, डब्बू यादव, संतोष तिवारी, संजय पाठक, अभिषेक यादव, संतोष गुप्ता आदि उपस्थित थे।


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