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पंचायत भवन में पति व देवर बैठे तो जाएगी प्रधानी

महिला ग्राम प्रधानों को अब घूंघट की ओट से निकलकर खुद गांवों की बागडोर संभालनी होगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Aug 2021 05:06 PM (IST)Updated: Mon, 30 Aug 2021 05:06 PM (IST)
पंचायत भवन में पति व देवर बैठे तो जाएगी प्रधानी
पंचायत भवन में पति व देवर बैठे तो जाएगी प्रधानी

जागरण संवाददाता, चंदौली : महिला ग्राम प्रधानों को अब घूंघट की ओट से निकलकर खुद गांवों की बागडोर संभालनी होगी। महिला प्रधानों के स्थान पर यदि उनके पति अथवा देवर मिनी सचिवालयों में बैठे तो पंचायती राज एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है। यहां तक कि प्रधानी भी जा सकती है। ऐसे में महिला प्रधानों को अपना अधिकार समझना होगा और खुद ग्राम पंचायत का नेतृत्व करना होगा। एक्ट के तहत सिर्फ प्रधान को ही ये अधिकार दिए गए हैं कि ग्राम पंचायत की बैठकों का नेतृत्व करें। आमतौर पर देखने को मिलता है कि महिला प्रधानों के पति और देवर ही उनके स्थान पर मीटिग लेने पहुंच जाते हैं। इसकी शिकायत मिली तो गाज गिर सकती है।

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इस बार जिले की 734 ग्राम पंचायतों में 242 महिलाएं ग्राम प्रधान चुनी गई हैं। हालांकि अमूमन यह देखने में आता है कि महिलाएं सिर्फ नाम की प्रधान होती हैं। कागजातों पर दस्तखत करने और किसी विशेष कार्यक्रम के अलावा उनकी कहीं उपस्थिति नहीं दिखती। उनके स्थान पर पति अथवा देवर ही गांवों की सत्ता संभालते हैं। पंचायत भवनों में सदस्यों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हैं। वहीं मिनी सचिवालयों में बैठकर ग्राम पंचायतों का सारा कामकाज देखते हैं। जनता दिनों दिन जागरूक हो रही है। ऐसे में चुनौती भी बढ़ती जा रही है। पंचायती राज एक्ट के अनुसार अपने स्थान पर पति, देवर अथवा परिवार के किसी अन्य सदस्य को बैठकों में भेजने वाली महिला ग्राम प्रधानों पर कार्रवाई हो सकती है। यहां तक कि प्रधान की कुर्सी भी हाथ से जा सकती है। इसलिए महिला प्रधानों को अब ईमानदारी के साथ अपना दायित्व निभाना होगा।

रजिस्टर में दर्ज करनी होती है कार्रवाई

बैठक के दौरान क्या शिकायतें आईं, क्या कार्रवाई हुई, इसकी डिटेल रजिस्टर में अंकित करनी होगी। पंचायत भवन में रखे रजिस्टर में बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों के हस्ताक्षर होंगे। सभी विभागों के एक-एक कर्मचारी की भी क्रमवार उपस्थिति लगेगी। पंचायत भवन की दीवार पर प्रत्येक विभाग के कर्मचारी का फोन नंबर अंकित होगा।

' बैठक के दौरान प्रधानों की हिस्सेदारी जरूरी है। उन्हें सामुदायिक शौचालयों के निर्माण व गोशालाओं की भी देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जो ग्राम प्रधान अपने स्थान पर दूसरे को भेजती हैं, पंचायती राज एक्ट के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

ब्रह्मचारी दुबे, जिला पंचायत राज अधिकारी


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