आखिर कैसे बुझेगी आग, जब पानी का ही अकाल
जासं, बरहनी (चंदौली) : अप्रैल का दूसरा पखवारा आरंभ होते ही भीषण गर्मी ने लोगों का हाल बे
जासं, बरहनी (चंदौली) : अप्रैल का दूसरा पखवारा आरंभ होते ही भीषण गर्मी ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है। पोखरों, तालाबों का जल तलहटी में जाने से लग रही आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया है। इससे आमजन को भारी क्षति उठानी पड़ रही है। गांव में कुओं का अस्तित्व समाप्त होने से स्थिति और भी विषम हो गई है। ऐसे में आग बुझाने के सभी उपाय फेल साबित हो रहे हैं।
गर्मी के आगाज के साथ ही अगलगी की घटनाएं आम हो जाती हैं। आए दिन अगलगी की घटनाओं से गृहस्थी तो चौपट होती ही है, किसानों की मूल पूंजी आग की भेंट चढ़ने से दो वक्त की रोटी भी छिन जाती है। हालांकि जिला प्रशासन की ओर से आग से निपटने को प्रयास किए जाते हैं। पर पानी की अनुपलब्धता के कारण आग पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है। वर्तमान स्थिति पर ही गौर करें तो क्षेत्र के तालाबों का पानी तलहटी में पहुंच गया है। ऐसे में यदि किसी गांव में आग लग जाए तो आग पर काबू पाना मुश्किल है। कहीं कहीं पानी उपलब्ध भी होता है तो दूर से लाने में आग सब कुछ स्वाहा कर देती है। अग्निशमन दल के देर से पहुंचने के कारण आग पर काबू नहीं हो पाता। एक से तीन अप्रैल को कोरमी गांव में मड़हे में आग लगने से घर गृहस्थी का सारा सामान जलकर राख हो गया। चार अप्रैल को चारी गांव में आग लगी तो ग्रामीणों ने अथक प्रयास कर आग पर काबू तो पा लिया लेकिन कोई सामान नहीं बचा सके। इसी तरह पांच अप्रैल को शंभुपुर में पुआल, 12 अप्रैल को केतकहनी जमुड़ा में लगभग 40 एकड़ गेहूं की फसल, 13 अप्रैल को करौती में घर गृहस्थी, 18 को महुंजी में श्यामा साह की दो मड़ई 19 अप्रैल को गोरखा, जमुड़ा, सबल जलालपुर में गेहूं जलकर राख हो गया। लेकिन पानी के अभाव में चाहकर भी लोग कुछ नहीं कर पाए।