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घबराएं नहीं! नहीं खरीदनी होगी महंगी दवा

अतिपिछड़े जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी योजना पर

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 08:24 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 08:24 PM (IST)
घबराएं नहीं! नहीं खरीदनी होगी महंगी दवा
घबराएं नहीं! नहीं खरीदनी होगी महंगी दवा

जागरण संवाददाता, चंदौली : अतिपिछड़े जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी योजना परवान चढ़ रही। कोरोना काल में गरीब मरीजों को बाहर से महंगी दवा नहीं खरीदनी पड़ रही। जनऔषधि केंद्र गरीबों की मदद के लिए तैयार है। जिला अस्पताल स्थित केंद्र में शासन के मानक के अनुरूप 135 तरह की जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हैं। मरीजों को निर्धारित कीमत पर दवाइयां बेची जा रही हैं। इससे काफी राहत मिल रही है। सुविधा शुरू होने से पहले लोगों को मेडिकल स्टोर से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ती थी।

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केंद्र सरकार लोगों को सस्ती चिकित्सा उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठा रही है। इसके तहत ही जनऔषधि केंद्रों की शुरूआत की गई थी। जिले में भी दो जनऔषधि केंद्र स्थित हैं। जिला अस्पताल में एक दुकान है। वहीं दूसरी चकिया स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय परिसर में है। जिला अस्पताल स्थित केंद्र में शासन के मानक के अनुरूप सभी दवाइयां उपलब्ध हैं। केंद्र संचालक के साथ ही अस्पताल में आने वाले मरीज भी इसकी पुष्टि करते हैं। उनके अनुसार जिला अस्पताल के चिकित्सकों की ओर से लिखी गईं अधिकांश दवाइयां यहां मिल जाती हैं। कभी-कभार इक्का-दुक्का दवाइयां ही बाहर से खरीदनी पड़ती हैं।

इन दवाओं की है उपलब्धता

जनऔषधि केंद्र संचालक सतीश सिंह ने बताया कि गैस की दवा पेंटाफ-डी, डाइक्लो एसपी, एसिक्लो एसपी, दर्द और बुखार में दी जाने वाली मोंटेर एलसी, हड्डी रोग की दवा ट्रिप्सिन, विटामिन बी, सी और जी के साथ ही इम्युनिटी बार, प्रोटीन आदि के टैबलेट और दवाइयां उपलब्ध हैं। शासन से निर्धारित कीमत पर ही इसकी बिक्री की जाती है। डिमांड भेजने के तीन दिनों के अंदर आपूर्ति हो जाती है। इससे दवाइयों का टोटा नहीं होता है। बोले तीमारदार :

चिकित्सकों की लिखी दवा जनऔषधि केंद्र पर मिल जाती हैं। केंद्र पर शासन से निर्धारित कीमत पर सस्ती दवाइयां मिलती हैं। इससे इलाज सस्ता हो गया है। वहीं दवाइयों के लिए भटकना नहीं पड़ रहा।

रामजी प्रसाद मौर्या, परेवां जनऔषधि केंद्र पर अधिकांश दवाइयां मिल जाती हैं। इक्का-दुक्का दवाइयां कभी-कभार बाहर से खरीदनी पड़ती है। शासन की योजना से गरीबों को इलाज कराने में काफी सहूलियत हो जाती है। पहले तो आधा पैसा जांच और दवाइ में ही खर्च होता था।

रविशंकर, भभुआ, बिहार


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