विभागीय प्रक्रिया पूरी करने में ही उलझा जिला प्रशासन
बेसहारा बेजुबानों को आश्रय ढूंढने का सीएम का फरमान जिले में बेअसर साबित हो रहा है। शासन स्तर से 10 जनवरी तक बेसहारा पशुओं के लिए गौशालाएं स्थापित करने का निर्देश जारी किया गया है। मियाद पूरी होने में महज दो दिनों का समय शेष है। लेकिन जिला प्रशासन अभी कागजी कार्रवाई में ही उलझा हुआ है। जनपद में समितियों के गठन से आगे प्रक्रिया नहीं बढ़ सकी है। अधिकारियों की सुस्ती पशुओं के साथ ही किसानों पर भी भारी पड़ रही है।
जागरण संवाददाता, चंदौली : बेसहारा बेजुबानों को आश्रय ढूंढने का सीएम का फरमान जिले में बेअसर साबित हो रहा है। शासन ने 10 जनवरी तक बेसहारा पशुओं के लिए गौशालाएं स्थापित करने का निर्देश जारी किया है। मियाद पूरी होने में महज दो दिन शेष है लेकिन जिला प्रशासन अभी कागजी कार्रवाई में ही उलझा हुआ है। जनपद में समितियों के गठन से आगे प्रक्रिया नहीं बढ़ सकी है। अधिकारियों की सुस्ती पशुओं के साथ ही किसानों पर भी भारी पड़ रही है।
शासन ने बेसहारा पशुओं से किसानों की फसल बर्बादी की शिकायतों को गंभीरता से लिया है। सभी जनपदों में बेजुबानों को गौशालाओं तक पहुंचाने का फरमान जारी किया गया है। शासन का निर्देश प्राप्त होने के बाद जिला प्रशासन की ओर से नगर निकाय, ब्लाक व तहसील मुख्यालयों सहित 18 स्थानों पर अस्थायी गौशालाओं की स्थापना की योजना बनाई गई है। इसके लिए पशुपालन विभाग को नोडल बनाया गया है। लेकिन विभाग अभी तक कागजी कार्रवाई में ही उलझा हुआ है। जनपद, तहसील, ब्लाक, नगर निकाय, ग्राम पंचायत, न्याय पंचायत स्तर पर समितियों के गठन से आगे कवायद नहीं बढ़ सकी है। बेसहारा पशुओं की गणना का काम भी नहीं पूरा हो सका है। जबकि गौशालाओं के लिए स्थान चयन की प्रक्रिया भी अधूरी है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही अन्नदाताओं की खेतों में खड़ी फसल पर भारी पड़ रही है। वहीं बेजुबानों को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है। शासन के निर्देशानुसार जनपद में बेसहारा पशुओं के लिए अस्थाई गौशालाओं की स्थापना को कवायद की जा रही है। समितियों का गठन कर लिया गया है। वहीं पशुओं की गणना भी कराई जा रही है। शीघ्र स्थान का चयन कर गौशालाओं की स्थापना करा दी जाएगी। ताकि किसानों को परेशानी का सामना न करना पड़े।
डा. एसपी पांडेय, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी