पशुपालकों के नहीं बन रहे क्रेडिट कार्ड, 400 आवेदन लंबित
जागरण संवाददाता चंदौली कृषि प्रधान जनपद में पशुपालकों के क्रेडिट कार्ड बनाने में बैंक आ
जागरण संवाददाता, चंदौली : कृषि प्रधान जनपद में पशुपालकों के क्रेडिट कार्ड बनाने में बैंक आनाकानी कर रहे हैं। दिसंबर व जनवरी माह में आए लगभग 400 आवेदन लंबित हैं। इसकी वजह से आवेदकों को पशुपालन विभाग व बैंकों का चक्कर काटना पड़ रहा है। लापरवाही से शासन की गो-संरक्षण की मुहिम को झटका लगा है।
गो-संरक्षण पर शासन का पूरा जोर है। बेसहारा पशुओं को आश्रय स्थलों में रखा जा रहा है। वहीं पशुओं के पालन-पोषण और देखभाल के लिए पशुपालकों को 20 हजार रुपये तक लोन देने की योजना चल रही है। इसके लिए पशुपालन विभाग की ओर से पशुपालकों से आवेदन प्राप्त कर बैंकों के भेजे जा रहे हैं, लेकिन बैंक पशुपालकों को ऋण देने में दिलचस्पी नहीं ले रहे। इसकी वजह से आवेदन लंबित हैं। लोन स्वीकृत न होने की वजह से पशुपालकों को विभाग व बैंकों तक बार-बार दौड़ लगानी पड़ रही है। जिलाधिकारी संजीव सिंह की ओर से समीक्षा बैठक में स्वरोजगार योजनाओं व ऋण आवेदनों पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश बैंकों के प्रतिनिधियों को दिए जाते हैं, लेकिन इसका असर नहीं होता है। इसलिए योजनाओं को गति नहीं मिल पा रही। दूध बेचकर लौटाएंगे ऋण
दुधारू मवेशी साल में लगभग आठ माह ही दूध देती हैं। शेष चार माह तक पशुपालकों को उन्हें रखकर चारा खिलाना पड़ता है। इस अवधि में पशुपालकों को आर्थिक बोझ से बचाने के लिए सरकार ने 20 हजार रुपये का क्रेडिट कार्ड देने का निर्देश दिया है। जब गाय-भैस दूध देंगी तो पशुपालक को ऋण की धनराशि बैंक को लौटानी होगी। साल में एक बार क्रेडिट कार्ड का ऋण जमा कर नवीनीकरण कराना होता है।
बैंकों को भेजेंगे पत्र
प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाक्टर एके वैश्य ने बताया कि बैंकों की ओर से आवेदनों को स्वीकृत करने की प्रक्रिया धीमी है। पशुपालकों की ओर से शिकायतें मिल रही हैं। इसको लेकर बैंकों को पत्र भेजा जाएगा। अधिक से अधिक पशुपालकों को योजना का लाभ दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।
वर्जन
पशुपालकों के लंबित आवेदनों का सत्यापन किया जा रहा है। सत्यापन के बाद पात्रों को ऋण दिलाया जाएगा। इसको लेकर बैंकों को निर्देशित किया जाएगा।
शंकरचंद सामंत, अग्रणी जिला प्रबंधक